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________________ मुम्बई, वीगेडा श्री पाजिन लावणी. ५० ३ नहुय दिलमें, अरजकरी करजोम। अचरजवाली बात हुई जब, प्रगट नया रॉय फोमजी॥३॥ ताम्रपात्रमें प्रनुमस्तकपर, जीवत अहिफण सार । केशर चंदन पुष्पादिकसें, पूजन अति मनुहरजी॥ बी० ४॥देशदेशके नविजन सुनके, उमंगधरी चितप्राय । गोमीचा पारशका दरशन, करतां दिलसुखपा यजी ॥ बी० ५॥ रजतवर्ण दोयहीरा अलकत, रविजिम तेजदी पाय। अति शय गुणपूरत प्रनु परितिख, शांति सूरत सुखदायजी॥ बी०॥६॥अधिक संघकी भक्तिदेखके, प्रनु रहे दिन इकवीस, नाद्रवदसुद तृतिया रजनीको अदृश विशवावीशजी ॥बी०७॥ कलयुगमें ए अचरजकारी, महमा अध की देख, नविजीवां मन आनंद नपनो, कुमति कदाग्रह रेखजी॥ बी० ८॥ धन्यधमी धन्य नाग हमारो, पायो प्रनुदीदार, नंदअनिल निधि चंद्र संवबर, सुन्नमहुरत तिथिवारजी ॥ वी० ९॥ करजोडी पारसप्रनु ध्यावे, सफल हुवे अवतार । लक्ष्मीप्रधान मिले शिवसंपद, मोहन हरख अपारजी ॥ बी०१०॥ इति लावणी संपूर्णम् ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ॐ॥ श्रीषन जिनस्तवन ॥१॥ ॥ ॥ पोटो पोढोजी झपन्न विहारे । निद्रावश नयण तिहारे ॥पो॥ प्रनुपालस अंग हुलशाई । पूजे मरुदेवा माई ॥ पो० ॥ १ ॥ प्रनु नंदा सुमंगलाराणी। नन रुच रुच सेज संभारी॥पो०॥ २ ॥ प्रनु नवलसुं नेह सनेहा । मनवंडित फल देहा ॥ पो० ॥ ३ ॥ प्यारे सेवक हित कर गावे । मनवंचित फल पावे ॥ पो० ॥४॥ अजर अमर पद पावे । कर जोमी शीश नमावे॥ पो०॥५॥ इति॥॥ ॥ ॥ ॥ॐ॥अथ दीवालीको स्तवन॥॥ ॥ ॥धन धन मंगल एरे सकल दिन । पूजी प्रनातें चालीरे ॥१॥ आज मारे दीवाली अजुवाली ॥१॥ गावो गीत वधावो गुरूने।मोतीमे था ल पूरावो । चार चार आगे चतुर सुहागण । चरण कमल चित्त सारीरे ॥ आज०॥ २॥ धन धुने धन तेरश दिवशै । काले काली चनदश । पाप ह णीजे पोसो कीजै। कर्म मेलो सर्व टालीरे॥आज सारे०॥ ३॥ अमावस की परब दीवाली । फरती जाक कमाली। घर घर तो दीवडीया फलके
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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