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________________ दश पञ्चक्खाण आगारार्थः ३३ पचखै । प्ररुतिबिहार उपवास में । बिलमें निवीमें एकास प्रमुख पाणस्सका ६ प्रागारपच्चखै ( सो दिखावे है) पाणस्स || लेवाडेावा । लेवाडेणवा प्रत्थेावा वहनेणवा ससित्थेणवा सित्थेावा बोसरइ ॥ 11 11 || ❀ || ॥ * ॥ ॥ अथ प्रत्याख्यान आगारार्थ लिख्यते || ॥ उग्गए सूरे नमोकार सहियं पञ्चक्खाइ चविपि हारं । (अर्थ) sai गुरु है पच्चक्खा शिष्य कहै पञ्चक्खामि ॥ पञ्चखाइका अर्थ सर्वठिकाणें अंगीकार वाचक । जाणनो (जैसें) सूरज उदय हुवांवाद | नवका रसी बत अंगीकार करूँ। यह पञ्चक्खाण (महूर्त्त ) दोघडी काल उपरांत । जहां तक नवकार गुणकर पाऊँ नहिं । तहां तक (चनवि० ) चारुं प्रहारनो त्यागरूप बत अंगीकार करूं ॥ ( चार प्रकारको आहार लिखते हैं ) । असणं ॥ पाणं ॥ खाइ ॥ साइमं । ( असणं व्याख्या) असणं कहतां अन्न । चोषा ज्वारि वरटी मूंग चिणा गहुं प्रमुख सर्वधान । सत्तु गहुँको आदिले सर्व तरैको माटो ॥ सर्व तरेका साग । जाडू प्रमुख सर्वपकवान | सूरणादिक सर्वकंद । दूध दही मांसादिक । सर्वकaat वस्तु | हींग विरहाली । लूण सैंधवादिक । इत्यादिक सर्व प्रशणमांहि जाणना ॥ १ ( पाएँ । व्याख्या) बण जवोदक षोदक तंडुलोदक उष्णोदक शुद्धोदक सर्वतरेकाजल पाण आगारमें जाना ॥ २ ॥ (खाइमं । व्याख्या ) खादिम । संखमी नातेर खजूर द्राख सेक्योधांन प्रांबा केला काकमी अखरोट खारक बिदाम प्रमुख सर्व जातनोमेवो । सर्व जातनाफल ॥ खादमजाना ॥ ३ ॥ ( साइमं । व्याख्या ) स्वादिम। तंबोल सूंठ मिरच पीपर हर बहेमा तुलबी कसेलो काथो जेष्ठीमधु तज तमालपत्र इलायची लवंग वायविडंग अजमो अजमोद कुलिंज चिणकबोबा कचूर नागरमोथ पांन सुपारी पुहकरमूल जवासामूल बावची बांनलबालि धवबालि खेजम बाल खयरमार ए सर्वस्वादिम जांगना ॥ ४ ॥ अनाहार लिखते हैं || नबालि मूल पांन सिली गोमुत्र गिलोय किरायतो प्रतिविष कूडन सुक
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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