SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 410
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३९८ रत्नसागर. ॥ * ॥ ( पुनः होरी ) ॥ ॥ ॥ * ॥ होरी आई, मेरो मन भयो, प्रसन्न प्रसन्न नयो, प्रसन्न न न न है । ( हो ० ) ब्रज बनिता मिल नेम कुमर सङ्ग । फाग रमत हियै हसन हसन हसननन नन्हे ( हो० ) ॥ १ ॥ बाजे तेताल मृदंग जांऊ गफ । बी की धुनि जिम मेघ गरजन गरजन गरजन नन नहे ( हो० ॥ २ ॥ नमत गुलाल लाल नए बादल । हरि हलधर हीये हरखन हरखन हरखन नन्हे ( हो ० ) ॥ ३ ॥ सबल आधार चरण जिनजीको । सेवक कों नित दीजीये दरशन दरशन दरशन न न नहे ( हो० ) ॥ ४ ॥ इति पदम् ॥ ॥ ॥ ॥ ( पुनः होरी ) ॥ ॥ ॥ ॐ ॥ होरी खेलो नेम धाय धाय । पुरजनकी लाज मेरी करे बजाय ( हो ० ) ज्ञान गुलाल अबीर नमावो । क्षमा करो रङ्ग लाय लाय ( ० हो ० ) ॥ १ ॥ शील संजम व्रत पान मिठाई । ध्यान धरूङ्गीमें गाय गाय ( ० हो ० ) ॥ २ ॥ प्रष्ट कर्म की खेह नमावो । ज्ञान हि ये लाय लाय ( दु० हो ० ) || ३ || जगत चन्दकी अरज बीनती । श रण गही में तेरी जाय २ ( ० हो ० ) ॥ ४ ॥ इति पदम् ॥ ॥ * ॥ पुनः होरी ॥ ॥ ॥ * ॥ ॥ * ॥ मेरै घटकी गगरया रङ्गसें जरी । शिव पुरकी वात पूहुँ कबकी खरी । ( मे० ) परम जोत प्रभु सिद्ध सिला पर । परमातम निज ध्यान धरी । ( शि० ) ॥ १ ॥ मोहन रङ्गनरो रंग शिवपुर । अजर अमर पद सुक्खकरी ( शि० ० ) ॥ २ ॥ इति पदम् ॥ * ॥ ॥ ॥ || * || GA: TTT || * || ॥ ॐ ॥ में नें देखी अनोखी होरी रे (में० ) सहसा वनकी कुंजगजिन में। अनुपम सोर मच्यो री ( ० ) ॥ १ ॥ यादवपति श्रीनेमकुमरजी । सुमतासखी मिल गौरी ( ० ) ॥ २ ॥ सुमता केशर नर पिचकारी । भारत है बरजोरी ॥ (० ) ॥ ३ ॥ ज्ञानगुलाल नकै प्रतिनारी । अ बीर नै नरजोरी । ( ० ) ॥ ४ ॥ कपूर कहै प्रभु मोकुं खेलावो । अर ज सुणो इक मोरी ( ० ) ॥ ५ ॥ इति पदम् ॥ *॥ ॥ **
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy