SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 347
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैती संयुक्त नवपद नजीकरण बिधि २२ ॥ तेइंद्री रक्का संयम चारि० ॥ २३ ॥ चौरिंद्री रक्का संयम चारि० ॥ २४ ॥ पंचेन्द्री र संयम चारि० ॥ २५ ॥ जीव रक्षा संयम चारि० ॥ २६ ॥ प्रेा संयम चारि० ॥ २७ ॥ नपेक्षा संयम चारि० ॥ २८ ॥ अतिरक्त वस्त्र नक्तादि परठण त्यागरूप संयम चारि० ॥ २९ ॥ प्रमार्जन रूप संयम चारि० ॥ ३० ॥ मनः संयम चारि० ॥ ३१ ॥ वाक्संयम चारि० ॥ ३२ ॥ काया संयम चारि० ॥ ३३ ॥ आचार्य वैयावृत्यरूप संयम चारि० ॥ ३४ ॥ उपाध्याय वैयावृत्यरूप संयम चारि० ॥ ३५ ॥ तपस्वी वैयावृत्यरूप चारि० ॥ ३६ ॥ लघुशिष्यादि वैयावृत्य रूप चारि ॥ ३७ ॥ गिलाण साधु वैयावृत्यरूप चारि ० ॥ ३८ ॥ साधु वैयावृत्य रूप चारि० ॥ ३९ ॥ श्रमणो पाशक वैयावृत्यरूप चा० ॥ ४० ॥ संघ वैयावृत्यरूप चारि० ॥ ४१ ॥ कुल वैयावृत्य रूप चारित्रे० ॥ ४२ ॥ गए वैयावृत्य रूप चारि० ॥ ४३ ॥ पशुपंगादि रहित वशति वसण ब्रह्य गुप्त चारि० ॥ ४४ ॥ स्त्री हास्यादि विकथा वर्जन ब्रह्म गुप्त चा० ॥ ४५ ॥ स्त्री प्राशन बर्जन ब्रह्म गुप्त चा० ॥ ४६ ॥ स्त्री अंगोपांग निरीक्षण वर्जन ब्रह्म ० ४७ ॥ कुड्यंतर सहित स्त्री हाव नाव सुणन वर्जन ब्रह्म० ॥ ४८ ॥ पूर्व स्त्री संभोग चिंतन वर्जन ब्रह्म० ॥ ३३५
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy