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________________ जैती संयुक्त नवपद नलीकरण विधि. ३२९ सर्व गुण मिला सें) (१०८) होय (इसीसें ) जैनमें मालाके दाणे (१०८) होते है ॥ इति पंचम दिवश विधिः ॥ ॥ ॥ ॐ ॥ ॥ * ॥ अथ षष्टम दिवस विधि लि० ॥ ॥ ॥ ॥ ी णमो दंसणस्स ) इस पदको (२) हजार गुणनो करै । दर्शन पद सफेद वर्ण ( इसमें ) तंडुलका प्रांबित करे । सम्यक्तके सतस गुण चिंतव नमस्कार करै ॥ * ॥ ॥ ॐ ॥ ॥ * ॥ अथ सम्यक्तकें सतसहिद लि० ॥ १ ॥ परमार्थ संस्तवरूप श्री सद्दर्शनाय नमः ॥ २ ॥ परमार्थ ज्ञातृसेवन रूप सद्दर्शनाय नमः ॥ ३ ॥ व्यापन्नदर्शन वर्जन रूप सद्दर्शनाय नमः ॥ ४ ॥ कुदर्शन वर्जन रूप सद्दर्शनाय नमः ॥ ५ ॥ शुश्रूषा रूप सद्दर्शनाय नमः ॥ ६ ॥ धर्म राग रूप सद्दर्शनाय नमः ॥ ७ ॥ वैयावृत्त रूप सद्दर्शनाय नमः ॥ ८ ॥ प्रियरूप सद्दर्शनाय नमः ॥ २९ ॥ सिद्ध विनयरूप सद्दर्शनाय नमः ॥ १० ॥ चैत्य विनयरूप सद्दर्शनाय नमः ॥ ११ ॥ श्रुत विनयरूप सद्दर्शनाय नमः ॥ १२ ॥ धर्म विनयरूप सद्दर्शनाय नमः ॥ १३ ॥ साधुवर्ग विनयरूप सद्दर्शनाय नमः ॥ १४ ॥ आचार्य विनयरूप सद्दर्शनाय नमः ॥ १५ ॥ उपाध्याय विनयरूप सद्दर्शनाय नमः ॥ १६ ॥ प्रवचन विनयरूप सद्दर्शनाय नमः ॥ १७ ॥ दर्शन विनयरूप सद्दर्शनाय नमः ॥ १८ ॥ संसारे जिनसार मिति चिंतनरूप सद० ॥ १९ ॥ संसारे जिनमतिसार मिति चिंतनरूपस० ॥ २० ॥ संसारे जिनमतिस्थित साध्वादिसार मिति चिंतनरूप सद्द० ॥ ४२ ॥
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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