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सिझायमाला.
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मैं कीधो धो । इमजाणी प्राणी थेकांई । कर्म कोई मति बांधोरे ॥ प्रा० ॥ ८० ॥ उप्पन कोम यादवनो साहिब । कृष्ण महाबल जाणी । अटवी मांहि मूंवो एक लमो । बिल २ करतो पाणीरे ॥ प्रा० ॥ ९क० ॥ पांव पांच महा झुजारा । हारी द्रोपदा नारी । बारै बरस जग बन रम बनिया । नमिया जेम नीख्यारीरे ॥ प्रा० ॥ १० क० ॥ बीस जुजा दस मस्तक हुँता । लखमण रावण मारयो । एक लकै जग सहु नर जीत्यो ते पिण कर्म्मसुं हारयोरे ॥ प्रा० ॥ ११ क० ॥ लखमण राम महा बल वंता । अरु सतवंती शीता । कर्म प्रमाणे सुख दुःख पाम्या | बीतक बहु तसबीतारे ॥ प्रा० ॥ १२ क० ॥ समकितधारी श्रेणिक राजा । बेटे बांध्यो मुसकै । धरमी नरनें करम धकायो । करम जोरन किसकारे ॥ प्रा० ॥ १३ क० ॥ सतीय सिरोमणी द्रौपदी कहीयै । जिन सम अवरन कोई । पांच पुरुषनी हुइ ते नारी । पूरब कर्म्म कमाईरे ॥ प्रा० ॥ १४ क० ॥
मानगरी नो जे स्वामी । साचो राजा चंद | मांई कीधो पंखी कूक हो । कर्म नाख्यो ते फंदरे ॥ प्रा० ॥ १५ क० ॥ ईशरदेव पारबती नारी करता पुरुष कहावै । हिनिस महिल मसाण में बासो । निख्या जोजन खावेरे ॥ प्रा० ॥ १६ क० ॥ सहस किरण सूरज परितापी । रातदिवस रहै
तो । सोलकला ससिधर जगचावो । दिन २ जायें घटतोरे ॥ प्रा० ॥ १७ क० ॥ इम अनेक खंड्या नर करमें | जांज्या ते पिण साजा । कवि हरष करजोगीनें वीनवै । नमो २ करम महाराजारे ॥ प्रा० १८ ० ॥ इति श्री कर्म्मसिज्ञाय संपूर्णम् ॥
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॥ * ॥ अथ शीता सिज्ञाय लि० ॥ ॥
॥ * ॥ जल जलती मिलती घणी रे । कालो काल अपाररे । सुजाण शीता । जाएँ केसू फूलियारे लाल । राता खैर अङ्गाररे ॥ सु० ॥ १ ॥ धी ज करै शीतासतीरे लाल । सील तणें परिमाणरे ॥ सु० ॥ लखमण राम खुशीथयारे लाल । निरखे राणो रारे ॥ सु० ॥ २ ॥ स्नान करी निरमल जलेंरे लाल । पावक पासें आयरे ॥ सु० ॥ ऊनी जाऐं सुरङ्गनारे लाल । अनुपम रूप दिखायरे ॥ सु० ॥ ३ ॥ नर नारी मिलीया घणारे लाल । ऊ