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________________ १५ तिथोंका मोटा गेटास्तवन. २४७ नचंद्रगी स्सुमतिनो नव्यात्मनः प्राणिनो । याचके वम कष्टहस्ति निधने सार्दूलविक्रीमितं ॥ ४॥ इति दीपमालिका स्तुतिः॥१३॥ ॥ ॥ ॥ ॥ पुनः॥ ॥ ॥सिधारथ ताता जगत विख्याता त्रिसलादेवी माय । तिहां ज गगुरु जनम्या सब उखविरम्या महावीरजिनराय । प्रनुलेई दिदा कर हित शिख्या देईसंबचरीदान । बहु करमखपेवा शिवसुखलेवा कीधो तपशुनध्यान ॥१॥ वर केवलपामी अंतरजामी वदिकाती शुनदीस । अमावसजातें पिउलीरातें मुगतिगया जगदीस । वलि गौतम गणधर मोटामुनिवर पाम्या पंचमज्ञान । थयातत्वप्रकासी शीलविलासी पहुतामुगति निदान ॥२॥ सुरपति संचरिया रतननधरिया रातथई तिहां काली । जन दीवा कीधा कार जसीधा निसाथई नजवाली। सहुलोकै हरखी निजरेनिरखी परबकियो दी वाली। वलि भोजन जगते निज निज सगतें जीमें सेवसुहाली ॥३॥ सिघायिकादेवी विधनहरेवी वंचित दै निरधारी । करै संघनेसाता जिमजग माता एहवी शकति अपारी । जिणगुण इमगावै शिवसुखपावै सुणज्यो जविजनप्राणी । जिनचंदजतीसर महामुनीसर जप एहवी वाणी ॥४॥ ॥ इति श्री दीपमालिका स्तुति ॥१४॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥अथ मोटा गेटा स्तवन संग्रह ॥ ॥ ॥ॐ॥ मनमोहन महाराज ।तीन जुवन सिरताज ॥आ लाल नगर बहान पुर राजीया जी॥१॥ पास जिणंद प्रधान । निरमल सुगुण निधान॥ आडे लाल ॥ वामा सुत वमि नागीया जी ॥२॥सेवक नीसंजाल । करीय खरी ततकाल ॥आ लाल ॥ संकट सहु प्रनु परि हरयाजी ॥३॥ चिंता करी चकचूर । प्रगट्यो आनंद पूर ॥आने लाल ॥वाट विषमता पिणटली जी॥४॥प्रनुजीने परसाद । वीता सहु विखवाद ॥आरे लाल । मन बंबित मुफ सहु फल्याजी॥५॥ध्यान समाधिनी थाप । मिलीयागे प्रनु आप ॥ आने लाल ॥ देज्यो दरसण वलि सदाजी॥६॥ अमृत धर्म सुजाण । सीस दमा कल्याण ॥ आने लाल ॥ वाचक इम वीनती करै जी॥७॥॥ ॥ ॥ॐ॥ इति श्रीमन मोहन पार्श्वनाथ स्तवनम् ॥ ॥ ३ ॥ ॥
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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