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________________ १५ तिथोंकी स्तुति २४५ नसुधे आणी प्रतिबूको नविप्राणी । सुयदेविपसायें पामें जयति सुनांणी ॥ ४ ॥ * ॥ इति श्रीसमवसरण नावगर्जितस्तुतिः ॥ ८ ॥ ॥ ॥ ॥ अथ श्रीनेमिजिन स्तुति ॥ ॥ ॥ * ॥ सुर असुर बंदिय पायपंकज मयणमल्ल अदोनितं । घन सुघन स्याम सरीर सुंदर शंख लंबन सोभितं । सिवा देवि नंदन त्रिजग वंदन विक कमल दिनेश्वरं । गिरनार गिरिवर सिखर वंदु नेमिनाथ जि नेश्वरं ॥ १ ॥ अष्टापदें श्री आदि जिनवर वीर जिनपावापुरे । वासुपूज्य चंपापुरयसीधा नेमि वय गिरिवरे । सम्मेत सिखरें वीस जिनवर मुगति पहुता मुनिवरू । चनवीस जिनवर तेहवडुं सयल संघें सुखकरू ॥ २ ॥ इग्यार अंग उपांगबारे दसपयन्ना जाणियें । बछेद ग्रन्थ प्रसत्थ प्रत्था च्यार मूल वखाणियें । अनुयोग द्वार नदार नंदी सूत्र जिनमत गाइये । इह वृत्ति चूरणि नाष्य पैंतालीस आगम ध्याइये || ३ || दुहुँ दिसें बा लक दोय जेहनें सदानवियण सुखकरू । दुखहरे अंबा लंब सुंदर पुरिय दोह पहरू । गिरनार मंरुण नेमि जिनवर चरण पंकज सेवियें । श्रीसंघ सहुनें सदामंगल करो अंबा देवियें ॥ ४ ॥ इति गिरनार मंकण श्रीनेमि जिनस्तुतिः ॥ ९ ॥ ॥ Il it ॥ ॥ ॥ * ॥ श्रीदेवार्य । विश्वेवर्यं । पूर्णानंद । नक्तयावंदे ॥ १ ॥ तीर्था धीशाः । शुद्धादेशाः । सर्वेीष्टं । शं कुर्वे तु ॥ २ ॥ प्राचो । वाचो युक्तया । कृप्ताः सद्भिः । पापं तु ॥ ३ ॥ शांता कांता । सिधा देवी । शांत्यै दांत्यै । शश्वद्भूयात् ॥ ४ ॥ इति श्रीवीर प्रभु स्तुतिः ॥ १० ॥ ॥ * ॥ अथ श्रीशीतलजिन स्तुति ॥ ॥ ॥ ॥ * ॥ त्रिभुवन जन नायक दायक वंबित दान । नवि कमल वि कासन सासन सूर समान । प्रणमुं बहुनावे नंदाराणी नंद । श्रीसूरत स हिरै शीतलनाथ जिणंद ॥ १ ॥ नऊन गुण धारी अविकारी अरिहंत । विजन हितकारी महिमावंत महंत । नपगारी अविचल जयकारी जग दीस | नित निरमल चित्तै वंदो जिन चौवीस ॥ २ ॥ जिहां नैगम संग्रह आदिकनय सुविचार | स्यादस्ति प्रमुख वलि सप्तनंगि विस्तार । पैंतीस
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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