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________________ १६४ रत्नसागर. जाणी सदा जेह ध्यावे । तेहनां फुःख दारिद्र दूरे गमावे॥५॥ पामी मा नुषोने वृथा कां गमो नगे। कुशीलें करी देहनें कां दमो नगे । नहीं मुक्तिवास विना वीतरागं । जो नगवंतं तजो दृष्टिरागं ॥६॥ नुदयरत्न लाखे स दा हेत आणी । दयानाव कीजें मोहे दास जाणी । मोरे आज मोतीयडे मेह वूग । प्रनु पाश शंखेश्वरो आपतूग॥७॥ ॥ .. ॥॥ ॥ ॥ अथ श्रीगौतमाष्टक बंद ॥ ॥ .. ॥ ॥ वीर जिणेसर केरो शीश । गौतम नाम जपो निशदीश । जो कीजें गौतमनुं ध्यान । तो घर विलशै नवे निधान ॥१॥ गौतम नामें गि रिवर चढे । मनवंगित लीला संपजे । गौतम नामें नावे रोग। गौतम नामें सर्व संजोग ॥२॥ जे वैरी विरुत्रा वंकमा । तस नामें नावे ढूकमा। जूत प्रेत नविममे प्राण । ते गौतमनां करं वखाण ॥३॥ गौतम नामें निर्मल काय । गौतम नामें वाधे आय । गौतम जिनशासन शणगार । गौतम ना में जय जयकार ॥ ४॥ शाल दाल सुरहा घ्रत गोल । मनवंटित कापड तंबोल । घरेसुघरणी निर्मल चित्त । गौतम नामें पुत्र विनीत्त ॥५॥ गौत मनदयो अविचल जाण । गौतम नाम जपो जग जाण । मोहोटा मंदिर मेरुसमान । गौतम नामें सफल विहाण ॥ ६॥ घर मयगल घोमानी जोड वारू बिलशै वंचित कोड । महीयल मानें मोहोटा राय । जो तूठे गौतमना पाय ॥७॥ गौतम प्रणम्यां पातिक टले । उत्तम नरनी संगत मले। गौतम नामें निर्मल झान । गौतम नामें वाधे वान ॥ ८॥ पुण्यवंत अवधारो सहु । गुरु गौतमना गुण डे बहु । कहे लावण्य समय कर जोम । गौतम तूठे संपति कोड ॥९॥ इति ॥ १०९ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥॥अथ श्री शोल सतीनो बंद ॥॥ ॥आदि नाथ आदें जिनवर वंदी । सफल मनोरथ कीजियें ए। प्रनातें कठी मंगलीक कामें । सोल सतीनां नाम लीजियें ए॥१॥ बाल कुमारी जग हितकारी । ब्राह्मी जरतनी बेहेनमी ए। घट घट व्यापक अवर रूपें । शोल सतीमांहि जे वमी ए ॥२॥ बाहुबल गिनी सतीय शिरोमणि । सुंदरी नामें रिषन सुताए । अंग स्वरूपी त्रिभुवन माहे । जे
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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