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________________ सुणो चंदाजी, सीमंधर ( तथा ) सिधगिरी स्तवन. १४३ ॥ ॥ श्री परमात्मा चैत्य वंदन ॥ ॥ । ॥ ॥ परमेसर परमातमा । पावन परमिठ । जय जगगुरु देवाधि देव । नयणे में दिह ॥१॥ अचल अकल अधिकार सार । करुणा रससिं धु। जगती जन आधार एक । निःकारण वंधू ॥२॥ गुण अनंत प्रनुता हरा ए। किम ही कल्यान जाय । राम प्रनु जिन ध्यानथी। चिदानंद सु ख थाय ॥३॥इति ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ श्री सीमंधर जिन स्तवन ॥8॥ ॥ ॥ सुणो चंदाजी सीमंधर परमातम पासें जावजो । मुझ वीनतमी प्रेम धरीने इण परें तुमें संनलावजो । ( ए आंकणी) जे त्रण्य नुवननो नायकले। जस चौशठ ईंद्र पायक । नाण दरसण जेहनें खायक जै ॥ सुणो० ॥ १ ॥ जेनी कंचन बरणी कायारे । जस धोरी लंग्न पाया। पुंमरीगणी नगरीनो राया ॥ सुणो० ॥२॥ बार पर्षदा मांहि बिराजै छै । जस चौत्रीश अतिशय गजै । गुण पांत्रीश वाणीयें गाजे ने । सुणो० ॥३॥ नविजननें ते पनि बोहेजे। तुम अधिक शीतल गुण शोहे । रूप देखी नविजन मोहे ॥ सुणो० ॥ ॥४॥ तुम सेवा करवा रसीओ बुं । पण नरतमां दूरे वसीओ बुं । महा मोह राय कर फसीओ बुं ॥सुणो० ॥५॥ पण साहिब चित्तमां धरीयो तुम आणा खड्ग कर ग्रहीयोने। तब कांइक मुझथी डरीयो ॥ सुणो० ॥ ॥६॥ जिन नत्तम पूठे हवे पूरो । कहे पद्म विजय थाऊं शूरो । तो वा धे मुज मन अति नूरो॥ सु०॥७॥ ॥॥ ॥ ॥ ॥॥ ॥ ॥श्री सिद्धगिरी स्तवन ॥॥ ॥॥ आंखमीये रे में आज । शेठेजो दीगरे। सवा लाख टकानो दहामोरे । लागे मुनें मीठोरे (ए आकणी) सफल थयो मारा मननो क माहो ॥ वाला मारा ॥ नवनो संशय नाग्योरे । नरक तिर्यंच गति दूर नि वारी। चरणे प्रनुजीने लाग्योरे॥शेत्रु० ॥१॥ मानव नवनो लाहो लीधो वा०॥ देहडी पावन कीधीरे । सोना रूपानें फूलडे वधावी। प्रेमें प्रदक्षिणा दीधीरे॥शेर्नु० ॥२॥ दूधडे पखालीने केशर घोली ॥ वा० ॥ श्री आ
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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