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________________ १३६ रत्नसागर गुत्तहिं । सचरित्ता यारो । विहो होइ नायवो ॥ ४ ॥ वारस विहमि वितवे । निंतर बाहिरे कुशलदिछे । गिलाइ अणाजीवी । नायवो सोतवायारो ॥ ५ ॥ सण मूणोरिया । वित्तीसंखेवणं रसच्चायो । काय किलेसो संली | वझोतवोहोइ ॥ ६ ॥ पायवित्तंविण । वेयावचं तहेव सिशो | जाणं नरसग्गोविय । निंतर तवोहोइ ॥ ७ ॥ प्रणगूहिय बलविरियो । परिक्कम जोजहुत्तमानत्तो । जुंज हाथामं । नायवो वीर आयारो ॥ ८ ॥ इति ॥ ॥ ॥ * ॥ अथ सुत्रदेवता स्तुति ॥ ॥ ॥ सु देवया भगवई नाणा वरणी प्रकम्म संघायं । तेसिंखवेन सययं । जेसिंसु सायरे जत्ती ॥ १ ॥ ॥ ॥ ॐ ॥ ॥ * ॥ अथ खेत्रदेवता स्तुति ॥ ॥ ॥ जीसे खित्तेसाहु | दंसणनाणेहि चरण सहिएहिं । साहंति मुरकमग्गं । सादेवी हरन पुरियाई ॥ १ ॥ इति ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ * ॥ थट्टाइज्जेमुमुनिवंदन ॥ * ॥ ॥ * ॥ ॥ अढाइजेसु दीवसमुद्देसु । पन्नरससु कम्मभूमी || जावंत केविसाहू स्यहरण गुपरिग्गहधारा ॥ पंच महवय धारा प्रहारस सहस्स सीलांगधारा ॥ अरक यायारचरित्ता, तेसवे सिरसा मासा मत्थवंदामि ॥ १ ॥ इति ॥ ॥ ॥ * ॥ अथ वरकनक ॥ ॥ ॥ वरकनक शंख विद्रुम । मरकत घन सन्निनं विगतमोहं । सप्ततिशतं जिनानां । सर्वामर पूजितं वंदे ॥ १ ॥ इति ॥ ॥ ४ ॥ ॥ * ॥ अथ पोसह पारवा गाथा ॥ * ॥ ॥ सागरचंदो कामो | चंदवर्किंसो सुदंसणोधन्नो । जेसिंपोसह पमिमा । अखमियाजीवितेवि ॥ १ ॥ धन्नासलाहणिका सुजसा आनंद कामदेवाय । जेसिंपसंसइ जयवं । दढव्वयंतं महावीरो ॥ २ ॥ पोसहविधेंलीधुंविधें पारिकं । विधिकरतां जे कोइ प्रविधि हो । तेसविहुं मन बचन कायायें करी मिचामिडुक्करुं ॥ ३ ॥ इति ॥ ॥ 11 11
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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