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________________ पूं०॥६॥ सोल वार सोले कीया, चउद किया चद् वार लालरे । भविक जीव तुमे सांभलो, तेर तेर तेर कार लालरे ॥j० ॥ ७॥ द्वादस द्वादस तप कीया, सत चुआल विचार लालरे । चउवीस वार दस दस कीया, पारणे नीरस, आहार लालरे ॥j० ॥ ८॥ सित्तर दिन लगे सांभळो, छछने पारणे छास, लालरे । ससट दिन बीजा क्ली, कारणे तक अभ्यास ( लालरे ।। पूं० ॥९॥ (ढाल बीजी-भमरानी ए देशीम्मं.) श्रीसेज गिरि जातरा सोहागीरे, अंगे हुओ आणंद लाल सोहागीरे । एकादस उपवासमे सोहागीरे, भेटया ऋषअजिणंद लाल सोहागीरे ॥१०॥ बार वरस ऋषिराजने सोहागीरे, प्रांच विगइ पञ्चखाण लाल सोहागीरे। पांच वरस लगे रजनी ए सोहागीरे, वस्त्र, न ओढयो जाण लाल सोहागीरे ॥११॥ पांच वरस लगे मुनीवरे सोहागीरे, आगला षट, गस लाल सोहागीरे । नहू मुता नींद्रा नही सोहागीरे, पूरण धर्म प्रकास लाल सोहागीरे ॥ १२ ॥ अवग्रह कीधो धृतनों सोहागीरे, जिन पूजा नारि च्यार लाल सोहागीरे। विहरावे तो विहरसुं सोहागीरे, नहींतर अगड निरधार लाल सोहागीरे ॥ २३ ॥ वरस तिनी अविग्रह रह्यो सोहागीरे, धन्य नरोडे पास लाल सोहागीरे । राजनगरथी संघ चल्यो सोहागीरे, पहंचे मननी आश लाल सोहागीरे ॥१४॥ गमताहे गुण आगली सोहागीरे, फुलां बुद्धि निधान लाल सोहागीरे । राजलदे
SR No.032080
Book TitleJain Ras Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandra Maharaj
PublisherGokaldas Mangaldas Shah
Publication Year1930
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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