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________________ पवित्र हुवे, लीजे भवनो लाहोरे पुन्य० ॥६॥ कुण कुल जनम लहयो सती, कोण नगर कोण देसोरे । कुण कुलमें माता व्याहीया, सो सव कहुं विसेसोरे/पुन्य० ॥७॥ भरतखेत्र शोभे भळो, जंबद्वीप मझारोरे । मध्यमेरु नवखंडमुं, लाख जोजन विस्तारोरे/पुन्य० ॥८॥ मध्यदेशमें दीपतो, वछ देश अति। चंगारे । नगरी कौसांबी भली, नदी वहे जहां गंगारे पुन्य. ॥९॥ चंदनबाला जहां भइ, सतीयां में सिरदारोरे । नाम जयंती श्राविका, मृगावती सुखकारोरे/पुन्य ॥१०॥ साधु अनाथि जीहां हुवा, श्रावक साध पवित्रोरे। पद्मप्रभ जिहां जनमीया, कहां लगे कहुं चरित्रोरे/पुन्य ०॥११॥ तस नगरी 'पासे भलो, साहिजादपुरसारोरे। निकट वहे गंगा नदी, वासै वरन अढारोरे/पुन्य० ॥१२॥ मुरपुरवरकी ओपमा, नगर निरुपम देखारे । न्यातचौरासी जिहां वसे, ओसवाळ सुविसेपारे पुन्य० ॥१३॥ पूरणमल्ल पुन्यातमा, श्रावक परम सुज्ञानीरे, गोत्र वीराणी परगडा, धर्मवंत अतिदानीरे पुन्य० ॥१४॥ तस घरणी वरणी सति,गुलो वह इति नामेरे। जैन भगति दोय आदरे दिनदिन चढत प्रणामेरे पुन्य० ॥१५॥ तास कूखमे ऊपनी, स्वर्गलोकथी आइरे । मातपिताना घर विषे, ऋद्धि वृद्धि अधिकाइरे पुन्य० ॥१६॥ संवत सतरसैं तीसमे, श्रावन मास उदारोरे । कृष्ण पक्ष एकादसी, जनमभयो मुखकारोरे पुन्य० ॥१७॥ नाम किसोर कुमुरोधर्यो, अनो कही बतलावेरे। ज्युं ज्यों वाधे बालिका, मातपिता सुख पावेरे पुन्य० ॥१८॥
SR No.032080
Book TitleJain Ras Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandra Maharaj
PublisherGokaldas Mangaldas Shah
Publication Year1930
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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