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________________ "श्रीम श्रीमंत श्री चलाधीशः नायर सरकारिया सूरश्री जयसिंहः श्रीमहि दिनरस्यर सहश्रामः श्रीधनसूरयः ३ः श्रीसिं बनू दुःसस्यजनः ४ समग्र गुणसंपू एवं भूरिश्री जयकीन परेसाधुब्रीज के रसूरयः श्रीसितव्यमुय्यः यो रिकी दाताः । मनि सूरयस्तत्पदेनवयुगानश्रीः सूरश्रीर्मामत्रयः तन्महोदयाय सिन्तिनाः जन्मदिराजश्रीयुजःकल्पासा श्रीमान रोदधिज्ञान विद्यारिय: उदयाचरि कीर्तिसिंधु ततोपुमोद राजेंद्रसूरयः मुतिसागर कुतितरत्नौजिय निक्विरविः शमायुक्त मेपिदेशकः ११ ि कोनगरेरे बाद बाईचैनपुराची रूपमा नबदलिकोप ज्ञान असमुपार्जितं १४ देवादि का दान का कीर्तिः कचित नरसिंहराजनिरनवापनिति बलवान् १६ केशवपनाची ता स्पुत्रौत्स्यजीवी नरसिंह तिथिरंजय कृषि वृद्धिधर्मतः गांधी मोहोरागों में साके शवजीनि जभुजोपार्जित विनेनधर्मकार्याणि परसाई विमानस मे राष्ट्र के कु गनाब संघ लो का मिलिताः तिष्ठामि होझचार्थ पिंकारयनिस्म नवीन जिनबिरुपाक्षा बस संख्याने पापिनस्पविधि नायक र भारत सागर खुरिविषितः शिश्रा देवचंद्रगणिनां क्रिया कुशलाः सहस्त्र शिपाया श्री वीरविक्रमाः १२ रन पालन शके १५८६ वर्तमान मा नमी से पति सरुवामा को दया : शिलाक, श्रीगुरु साधुनिरंजन कुघलका ३ बेसी पूर्वसत्यजिन जो ना कियायाचका दानादिसंघवाद पुनः एसपल निर्मित सारस्वतपनादिजियेषु परोपरि श्री मिनेनजिनस विज्ञानमंदिर प्रतिघसित परेशांसों विधिना क्रियाकृता श्ररिमुपदेशनः श्री निजपरिवारे सह श्री नंदनादिजन एक नंः गोहिल को श्री सूर संघ जी राज्यपाद मोसम श्रीसंघ या कन्याम जय मलि मुनिवरेषु शिष्यवाचक व विनया बिनए प्रशस्तिश्रव ज्या संघ स्पशा ज्ञानसमुन्नतिकार लेखि १ यायकं विना यं सिलिपीताः यावत् मेरु महाधरः याच दिवाकयानार्थ जाणतोय' नंद मंदिरः॥१॥ श्र + પાલીતાણામાં શેડશ્રી કેશવજી નાયકે અધાવેલી ધર્મશાળાનેા શિલાલેખ. ( सेम ३४८ )
SR No.032059
Book TitleAnchalgacchiya Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshva
PublisherAnantnath Maharaj Jain Derasar
Publication Year1964
Total Pages170
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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