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________________ संस्कृत साहित्य का इतिहास छन्दः पादौ तु वेदस्य हस्तौ कल्पोऽथ पठ्यते । ज्योतिषामयनं चक्षुनिरुक्तं श्रोत्रमुच्यते ॥ शिक्षा घ्राणं तु वेदस्य मुखं व्याकरणं स्मृतम् । तस्मात् सांगमधीत्यैव ब्रह्मलोके महीयते ॥ पाणिनीय शिक्षा ४१-४२ इन वेदांगों के अतिरिक्त अनुक्रमणिकाएँ हैं। इनमें ऋषियों के नामों के साथ वेदों की पूरी विषयसूची दी हुई है । वेदों के मन्त्रों के देवताओं के नाम तथा मन्त्रों के छन्दों के नाम भी इनमें दिये हुए हैं। शौनक ने ऋग्वेद से संबद्ध ये ग्रन्थ लिखे हैं-- १. आर्षानुक्रमणी, ऋषियों की सूची, २. छन्दोऽनुक्रमणी छन्दों को सूची, ३. देवतानुक्रमणी, देवताओं की सूची, ४. सूक्तानुक्रमणी, सक्तों की सूची, ५. पदानुक्रमणी, पदों की सूची, ६. अनुवाकानुक्रमणी, अनुवाकों की सूची, ७. बृहदेवता, देवताओं की सूची तथा उनसे संबद्ध कथाएँ, ८. ऋग्विधान, कुछ विशेष सूक्तों का उल्लेख, जिनके पाठ से आश्चर्यजनक लाभ होते हैं । इन अनुक्रमणिकाओं के द्वारा ज्ञात होता है कि ऋग्वेद में १०१७ सूक्त, १०५८०३ मन्त्र, १५३८२६ शब्द और ४३२००० वर्ण हैं । पाश्चात्त्य विद्वानों का मत है कि इनमें से कुछ शौनक के बनाए हुए नहीं है । शौनक के शिष्य कात्यायन ने सर्वानुक्रमणी बनाई है। इसमें इन सबकी अनुक्रमणिका सूत्र रूप में दी गई है। यह सर्वानुक्रमणी ऋग्वेद की है । शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा की यजुर्वेदानुक्रमणी कात्यायन ने ही बनाई है । प्रायशिक्षा और चारायणोय का सम्बन्ध कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा से है । चार। य गोय का दूसरा नाम मन्त्ररहस्याध्याय है । प्रात्रेयशिक्षा तैत्तिरीय संहिता, ब्राह्मण और प्रारण्यक की अनुक्रमणिका है । आर्षेय ब्राह्मण वस्तुतः सामवेद को अनुक्रमणिका ही है। वृहत्सर्वानुक्रमणी अथर्ववेद की अनुक्रमणिका है । इसके अतिरिक्त परिशिष्ट नामक ग्रन्थ है। ये २१ हैं । इन सबका सम्बन्ध सामवेद से है ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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