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________________ पृष्ठ विषय-सूची अध्याय १. भूमिका संस्कृत--वैदिककाल तथा श्रेण्यकाल--बोलचाल तथा साहित्य की भाषा--प्राकृतभाषा तथा उसकी विभाषाएं--प्राचीन भारत में लेखनकला--संस्कृत और प्राकृत साहित्य की कुछ विशेषताएँ --पाश्चात्य विद्वानों की भारतीय साहित्य को देन । २. वेद १५-१७ वैदिक संहिताओं का विभाजन-उनके अध्ययन को विभिन्न पद्धतियाँ। ३. वेद और पाश्चात्य विद्वान् १८-२५ वेद और जेन्दअवेस्ता की कतिपय समानताएँ--वेदों का रचना स्थान--वेदों का संकलन-वेदों की व्याख्याएँ--वैदिक सभ्यता । ४. पाश्चात्य विद्वानों के विचारों की समीक्षा २६-३२ वेदों के विषय में भारतीयों का मत-वेदों के रचयिताओं के विषय में दृष्टिकोण--वदों के भाष्यकार-वेदों की व्याख्या के लिए आवश्यक साधन-वेदों का रचनास्थान । ५. वैदिक संहिताएँ, ब्राह्मण-ग्रन्थ और प्रारण्यक-ग्रन्थ चारों वेदों की विभिन्न शाखाएँ। ६. उपनिषद् ३६-४३ मुख्य तथा गौण उपनिषदें-उनका वर्गीकरण । ७. वेदांग ४४-५१ ६ वेदांग--शिक्षा, व्याकरण, छन्द, निरुक्त, ज्योतिष, कल्पप्रत्येक वेदांग के विभिन्न ग्रन्थ--वैदिक अनुक्रमणिकाएँ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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