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________________ संस्कृत साहित्य का इतिहास अर्थशास्त्र विषय पर सबसे प्राचीन ग्रन्थ कौटिल्य का अर्थशास्त्र प्राप्त होता है । कौटिल्य का दूसरा नाम चाणक्य है । इसमें बृहस्पति उद्यानस्, विशालाक्ष, भरद्वाज और पराशर आदि को अर्थशास्त्र का प्राचीन ग्राचार्य माना गया है । इसमें १५ अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में कई खण्ड हैं । प्रत्येक खण्ड गद्य में है और अन्त में श्लोक होता है, जिसमें खण्ड के विवेच्य विषय का उपसंहार होता है । इसमें कुछ सूत्र भी हैं ! उन पर भाष्य हुआ है । इन सूत्रों के लेखक का नाम अज्ञात है ! इस ग्रन्थ में व्यावहारिक जीवन के विषय में विस्तृत विवरण प्राप्त होता है । इसमें राज्य के प्रबन्ध-सम्बन्धी विभिन्न विषयों पर विस्तृत विवेचन हुआ है । इन विषयों में से कुछ विषय ये हैं- राजकुमारों को कैसी शिक्षा दी जानी चाहिए, मन्त्रिपरिषद् का निर्माण, दूतों की उपयोगिता, राजदूतों के कर्तव्य, राज्य के प्रबन्ध का नियन्त्रण, न्याय का संचालन, आक्रमण, दण्ड, मूल्य वृद्धि, कर- विधान, राजा के कर्तव्य ६, राज पुरोहित और भावों के दुर्गुण, कुछ रहस्यात्मक कार्य । अर्थशास्त्र के लिखने का उद्देश्य यह था कि राज्य को सुरक्षित बनाया जाय । इसके लेखानुसार राजा राज्य का केवल सेवक होता था । ३४८ अन्य नाम इस ग्रन्थ का लेखक चाणक्य माना जाता है । उसी के विष्णुगुप्त और कौटिल्य हैं । वह मौर्य राजा चन्द्रगुप्त का मन्त्री था । भारतवर्ष के विषय में मेगस्थनीज ने जो विवरण लिखा है, वह अर्थशास्त्र के विवरण से मिलता है । दण्डी ने दशकुमारचरित में विष्णुगुप्त के अर्थशास्त्र में ६००० श्लोकों का होना लिखा है' । इस ग्रन्थ की शैली के आधार पर इसका समय ३२० ई० पू० के लगभग मानना चाहिए। इस ग्रन्थ का लेखक चाहे कोई भी हो, अर्थशास्त्र के देखने से नात होता है कि इसके लेखक की राजनीति-सम्बन्धी योयग्रता बहुत विकसित थी । इसने इस बात को पूर्णतया स्पष्ट किया है कि राज्य का प्रबन्ध ही १. दशकुमारचरित अध्याय ८ ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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