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________________ २५८ संस्कृत साहित्य का इतिहास है । दामोदर गुप्त ने अनंगहर्ष का उल्लेख किया है। दामोदर गुप्त का समय ८०० ई० है । यदि दोनों व्यक्ति एक हो हैं तो तापसवत्सराज और उदात्तराघव के लेखक का समय ८०० ई० से पूर्व मानना चाहिए । केरल के एक राजा कुलशेखरवर्मन् ने दो नाटक लिखे हैं—सुभद्राधनंजय और तपतीसंवरण। यह राजा ७०० ई० में केरल में हुए इसी नाम के राजा से भिन्न है । इसका समय ८०० ई० है । ___मुरारि श्रीवर्धमानक का पुत्र था । उसने अपने आपको बाल वाल्मीकि लिखा है । रत्नाकर (८५० ई०) के हरविजय में उसका उल्लेख है। उसने भवभूति (७०० ई०) के उत्तररामचरित से उद्धरण दिया है । अतः उसका समय ८०० ई० के लगभग मानना चाहिए। उसने रामायण की कथा पर आश्रित अनर्घराघव नाटक लिखा है। इसमें सात अङ्क हैं । कथा के वर्णन में उसने भवभूति के महावीरचरित का अनुसरण किया है। उसने अन्तिम अंक में राम के लौटकर आने के वर्णन में जो भौगोलिक वर्णन किया है, वह बहत त्रुटिपूर्ण है। लेखक में मौलिकता का अभाव है। परवर्ती साहित्यशास्त्रियों और वैयाकरणों ने उसको अलंकृत भाषा और परिष्कृत शैलो के आधार पर बहुत प्रशंसा की है । मंखक ने मुरारि की प्रशंसा वक्रोक्ति के एक प्राचार्य के रूप में को है । 'कतन्दो' नाम की एक रचना का भी उल्लेख मिलता है जो रावणकृत 'वैशेषिकसूत्र' को टीका है। मुरारि भट्टनारायण' और भवभूति' से प्रभावित था। बहुत कुछ सम्भव है कि १. श्रीकण्ठचरित २५ २. तुलना कीजिए-अनर्घराघव ४/४६ को वेणीसंहार १/१२ से ___४/२५ , , ३/२३ से १/५६ ,, उत्तररामचरित ६/१२ से २/४ से , २/५८ ,, , १/१० से ४/२६ ,, महावीरचरित २/३६ से
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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