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________________ २५२ संस्कृत साहित्य का इतिहास उसके गुरु का नाम ज्ञाननिधि था । मालतीमाधव की एक हस्तलिखित प्रति में उल्लेख है कि कुमारिल भट्ट के शिष्य उवेक ने यह नाटक लिखा है । इस आधार पर एक वाद-विवाद प्रारम्भ हो गया है कि भवभूति और उवेक ( ६४० - ७२५ ई० ) एक ही व्यक्ति हैं । परन्तु यह अभी तक सिद्ध नहीं हो पाया है । महावीरचरित भवभूति की प्रथम रचना ज्ञात होती है । इसमें सात अङ्क हैं । इसमें रामायण की कथा राम-सीता के विवाह से लेकर राम के राज्याभिषेक तक की है । रावण सीता से विवाह करना चाहता है, परन्तु धनुष भंग न कर सकने के कारण धनुष को भंग करने वाले राम से पराजित होता है । रावण के मन्त्री माल्यवान् ने राम से बदला लेने का निश्चय किया । शूर्पणखा कैकेयी की दासी के रूप में मिथिला में प्रगट होती है और कैकेई के द्वारा पहले से माँगे हुए दोनों वर दशरथ से मँगवाती है । माल्यवान् ने ही बालि को प्रेरित किया था कि वह किष्किंधा में जाने पर राम पर आक्रमण करे । रामायण की कथा में बालि के वध के लिए जो कठिन समस्या उपस्थित हुई है, वह इस प्रकार नहीं उपस्थित होती और राम के द्वारा बालि का वध उचित सिद्ध होता है । यह नाटक नाटकीय दृष्टि से अच्छा नहीं है । इसके दो प्रङ्कों में राम और परशुराम का मौखिक विवाद है । बातचीत में बहुत लम्बे वक्तव्यों के द्वारा इस नाटक का प्रभाव मारा जाता है । यह तक यह माना जाता है कि भवभूति ने चतुर्थ अंक के ४६ श्लोक ग्रन्थ लिखा है, शेष अंश एक विद्वान् सुब्रह्मण्य ने लिखा है । कोई भी कारण पर्याप्त नहीं है कि चतुर्थ अङ्क में भवभूति सहसा रुक क्यों गये ? मालतीमाधव एक प्रकरण - नाटक है । इसमें दस अङ्क हैं । इसमें वर्णन किया गया है कि किस प्रकार विदर्भ के राजा के मन्त्री देवरात माधव का विवाह पद्मावती के राजा के मन्त्री भूरिवसु पुत्र
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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