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________________ अध्याय २३ कालिदास के परवर्ती नाटककार कालिदास के परवर्ती नाटककारों में शूद्रक सर्वप्रथम आता है । वह एक ऐतिहासिक महापुरुष जान पड़ता है । वह इन्द्राणीगुप्त नामक ब्राह्मण था । ब्राह्मण के कर्तव्यों को छोड़कर राजा हो जाने के कारण वह शूद्रक कहा जाने लगा । उसने आन्ध्रजातीय राजकुमार स्वाति को पराजित किया तथा उज्जैन साम्राज्य पर शासन करने लगा । उसने लगभग एक वर्ष तक शासन किया । इसका उल्लेख दण्डिन् की अवन्तिसुन्दरी कथा ( पृ०२०० - २०१ ) और अवन्तिसुन्दरीकथासार ( ४-१७५ - २०० ) में प्राप्त होता है । उसने मृच्छकटिक नामक प्रकरण लिखा है । इसमें दस अंक हैं । उसका परिचय पूर्णतया निश्चित नहीं हो पाया है । उसका नाम बहुत सी कथाओं में नायक या एक पात्र के रूप में आता है । मृच्छकटिक की प्रस्तावना में वह एक कवि और राजा बताया गया है और कहा गया है कि अपने बाद उसने अपने पुत्र को राजगद्दी पर बैठाया और एक सौ वर्ष आठ दिन की लम्बी आयु बिताकर अग्नि में प्रविष्ट हो गया । आलोचकों ने इस उल्लेख के आधार पर इस नाटक का रचयिता शूद्रक को मानना अस्वीकार किया है, क्योंकि अपनी की हुई घटना का स्वयं वर्णन नहीं कर सकता था । यदि प्रस्तावना के इस उल्लेख को बाद की मिलावट मानी जाय तो शूद्रक को इस नाटक का रचयिता मानने में कोई आपत्ति नहीं होती है । उसका समय भी सरलता से निश्चित किया जा सकता है । इस नाटक: में दाक्षिणात्यों, कर्णाट, द्राविड़, चोल आदि के उल्लेख हैं और कर्णाटक का औरों के साथ युद्ध का वर्णन है । इस उल्लेखों से ज्ञात होता है कि नाटककार या तो दाक्षिणात्य था या दक्षिण प्रदेश को अच्छी प्रकार जानता था ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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