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________________ संस्कृत नाटक २३३ विकसित हुआ है। अग्निमित्र ने कई विवाह किए थे और वह मालविका से विवाह करना चाहते थे। यह अधिक उचित होता यदि वह मालविका को अपने पुत्र वसुमित्र के लिए पत्नी रूप में चाहता। उसके प्रेम का सम्बन्ध दो रानियों और तीसरी मालविका से है। तीनों के स्वभाव में अन्तर है । नाटककार ने अग्निमित्र की घोर कामुकता को बहुत स्पष्ट रूप से प्रकट किया है। कालिदास ने तीनों स्त्रियों को प्रतिस्पर्धी के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है, अतएव मालविका और अग्निमित्र का प्रेमी के रूप में चरित्र-चित्रण अच्छा नहीं हो पाया है। अग्निमित्र का राजा के रूप में चित्रण अवश्य अच्छा हुआ है। विक्रमोर्वशीय में प्रतिस्पर्धी दो ही स्त्रियाँ हैं । इसमें रानी का स्वभाव पूर्व नाटक से अधिक उच्च कोटि का है। तथापि उर्वशी में मातृप्रेम का अभाव है। शाकुन्तल नाटक में कोई प्रतिस्पर्धी स्त्री रंगमंच पर नहीं लाई गई है, क्योंकि इससे नायक और नायिका की उत्कृष्टता न्यून हो जाती । प्रतिस्पर्धी स्त्री के न होने के कारण दुष्यन्त और शकुन्तला का चरित्र-चित्रण भी अच्छा हो सका है। कालिदास ने पुरुष पात्रों की अपेक्षा स्त्री पात्रों का अधिक अच्छा वर्णन किया है । यह बात उनके काव्य ग्रन्थों के विषय में भी सत्य है। कालिदास के सभी स्त्री पात्र निरपराध होते हुए भी कष्ट का अनुभव करते हैं। कालिदास संभवतः यह निर्देश करना चाहते हैं कि स्त्रियाँ पुरुषों के प्रति अपने कर्तव्य का पालन न करने से दुःख प्राप्त करती हैं। कालिदास के स्त्री पात्र अनेक प्रकार के हैं। स्त्री पात्रों के द्वारा कालिदास पुरुष पात्रों की उत्कृष्टता प्रकट करता है । कालिदास के पुरुष पात्र क्रमशः उच्च होते गए हैं, कामुक अग्निमित्र से वीर पुरूरवा उच्च कोटि का है और दुप्पन्त उससे भी उच्च कोटि का है। कालिदास का मन्तव्य है कि प्रेम का लक्ष्य उदात्त गुणता है, न कि कामुकता । प्रेम दुःखों के सहन करने और पापों के प्रायश्चित्त से उत्कृष्ट और आध्यात्मिक रूप को प्राप्त करता है, काम-भाव की वृद्धि से नहीं ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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