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________________ अध्याय १६ सुभाषित-ग्रन्थ मुभाषित-ग्रन्थ कवियों का समय-निर्धारण करने और उनके ग्रन्थों के निर्णय करने में बहुत सहायक होते हैं। इन ग्रन्थों में विभिन्न कवियों के रचित श्लोक विषयों के अनुसार संग्रह किये जाते हैं । ये श्लोक काव्यग्रन्थों, गीतिकाव्यों और सामान्य संग्रहों से लिए जाते हैं। कुछ सुभाषित-ग्रन्थों में लेखकों के नाम भी दिए हुए होते हैं कि यह श्लोक अमुक कवि की रचना है। इन ग्रन्थों में जो श्लोक जिस कवि के नाम से दिए हुए हैं, उनमें से कुछ श्लोक आजकल के मुद्रित संस्करणों में प्राप्त नहीं होते हैं । इन सुभाषितग्रन्थों के आधार पर ही आजकल प्रयत्न किया जा रहा है कि कतिपय कवियों और उनके काव्यों का निर्धारण किया जा सके । अतः ये सुभाषितग्रन्थ कवियों के वंशानुक्रम और काल के निर्धारण में बहुत सहायक हैं। ___ इस प्रकार के श्लोकों का सबसे प्राचीन संग्रह गाथासप्तशती है । इसमें महाराष्ट्री प्राकृत में लिखित सात सौ श्लोक हैं । इसमें शृंगार-विषयक प्राचीन लेखकों के रचित श्लोक संग्रह किए गए हैं । इन श्लोकों में से कुछ प्रवरसेन, मायुराज, हाल आदि की रचनाएँ हैं । इस ग्रन्थ में इसका लेखक हाल कवि बताया गया है । बाण ने हर्षचरित में इसको सातवाहन की रचना मानी है।' सातवाहन का प्राकृत रूप शालिवाहन है । यह आन्ध्रभृत्य राजाओं का पारिवारिक नाम था। सातवाहन राजाओं ने महाराष्ट्र में ७३ ई० पू० से लेकर २१८ ई. तक राज्य किया है। इन राजाओं में से १. अविनाशिनमग्राम्यमकरोत् सातवाहनः । विशुद्धजातिभिः कोशं रत्नरिव सुभाषितैः ।। हर्षचरित की भूमिका में बाण, श्लोक १३ । २. The Collected Works of Bhandarkar, भाग ३, पष्ठ ५१ और ५२ सं० सा० इ०-११
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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