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________________ १४२ संस्कृत साहित्य का इतिहास पादित किया है कि विरह-प्रेम के कई लाभ हैं और यह पुरुष तथा स्त्री के प्रेम को शुद्ध बनाए रखने के लिए अनिवार्य भी है। कालिदास ने जो मार्ग बताया है, उससे ज्ञात होता है कि उसे भौगोलिक ज्ञान ठीक था और वह विभिन्न स्थानों के लोगों के जीवन और व्यवहारों से सम्यक्तया परिचित था। कालिदास ने इस काव्य के लिए मन्दाक्रान्ता छन्द चुना है और संपूर्ण काव्य में इसका सफलता से प्रयोग किया है । मेघदूत को सार्वभौम प्रशंसा प्राप्त हुई है। इसने पाश्चात्य कवियों को बहुत प्रभावित किया है । जर्मन कवि शोलर (१८०० ई०) ने कालिदास के इस गीतिकाव्य के आदर्श पर 'मारिया स्टुअर्ट' नामक काव्य लिखा है । इसमें एक बन्दी रानी ने मेघ को सन्देश दिया है कि वह फ्रांस की भूमि की बधाई वहाँ पहुँचावे जहाँ उसने युवावस्था बिताई है । बाद के कवियों पर मेघदूत का प्रभाव बहुत अधिक पड़ा है । इसी रूपरेखा पर अनुकरणस्वरूप काव्य बनाने के लिये यह उनका आदर्श रहा है । अनुकरण वाले काव्यों में एक प्रकार यह भी रहा है कि उसमें कालिदास के मेघदूत के प्रत्येक श्लोक की एक या अधिक पंक्ति को अपने श्लोक में सम्मिलित कर लिया गया है । इस प्रयत्न का सुफल यह हुआ है कि मेघदूत के श्लोक सुरक्षित रह गये हैं। जिनसेन (८१४ ई० के लगभग) ने पार्वाभ्युदय नामक काव्य चार सर्गों में लिखा है । इसमें उसने जैन मुनि पार्श्वनाथ का जीवन-चरित वर्णन किया है । इसमें मेघदूत के १२० श्लोक सुरक्षित मिलते हैं । विक्रम कवि (समय अज्ञात) ने नेमिदूत नामक काव्य लिखा है । इसमें उसने जैन मुनि नेमिनाथ का जीवन-चरित वर्णन किया है । इसके काव्य में मेघदूत के १२५ श्लोक सुरक्षित मिलते हैं। इसके दूसरे प्रकार के अनुकरण वाले काव्य वे हैं, जिनमें इसी प्रकार के भाव के लिए या अन्य भाव के लिए इसके स्वरूप को अपनाया गया है। धोयो कवि बंगाल के राजा लक्ष्मणसेन (११६६ ई०) का आश्रित कवि था । इसने
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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