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________________ कालिदास के बाद के कवि १३७ काव्य के लिए निर्धारित नियमों के पालन के लिए कतिपय एसे वर्णनों को स्थान दिया गया, जो वहाँ पर वस्तुतः आवश्यक और उपयुक्त नहीं हैं । रत्नाकर के हरविजय, मंख के श्रीकण्ठचरित और शिवस्वामी के कप्पयाभ्युदय आदि में यह प्रवृत्ति दृष्टिगोचर होती है । कवियों ने शब्दालंकारों के प्रयोग में ही अपनी मौलिकता दिखानी प्रारम्भ को । इस विषय में भारवि, माघ, कुमारदास, वासुदेव, शिवस्वामी और वेंकटाध्वरी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं । कुछ काव्यों में वैयाकरणों का प्रभाव विशेषरूप से दृष्टिगोचर होता है । अश्वघोष के बुद्धचरित और भारवि के किरातार्जुनीय में यह प्रवृत्ति विशेषतया दिखाई देती है । भट्टि, भीम और हलायुध ने अपने काव्य केवल इसलिए बनाए हैं कि उनमें व्याकरण के नियमों के उदाहरण प्रस्तुत किए जायें । ज्यों-ज्यों कविता बाह्यरूपात्मक अधिक होती गई, श्रीहर्ष जैसे कुछ कवियों ने अपने काव्य में कवित्व के अतिरिक्त अन्य विषयों का पाण्डित्य प्रदर्शित करना प्रारम्भ कर दिया । एक नई प्रवृत्ति प्रारम्भ हुई कि श्लेष अलंकार का आश्रय लेकर एक से अधिक भावों को एक साथ प्रकाशित किया जाय । इस विषय में धनंजय चौर कविराज के राघवपाण्डवीय काव्य आदि, जो कि द्विसन्धान पद्धति पर लिखे गए हैं, विशेषतथा उल्लेखनीय हैं । डा० ए० बी० कीथ ने ठीक ही लिखा है कि "श्लेष अलंकार का भाषा पर बहुत घातक प्रभाव पड़ता है । योग्यतम कवि के लिए असंभव है कि वह श्लेष के द्वारा दो अर्थ एक साथ प्रकट करे और अर्थ, रचना तथा अन्वय में खेंच न करे । इस प्रयत्न का प्रभाव यह होता है कि उस समय के वर्तमान कोष -ग्रन्थों को सूक्ष्मता के साथ देखा जाता है और ऐसे शब्द ढूँढ़ कर निकाले जाते हैं जो अनेक अर्थों का बोध करा सकें । परिणामस्वरूप कवित्व - साधना के स्थान पर बौद्धिक परिश्रम होने लगता है और विचारों तथा भावों को सर्वथा नष्ट किया जाता है ।"" इस काल में साम्प्रदायिक भावों का बहुत प्राबल्य रहा है । बौद्धों और जैनों ने काव्य - साहित्य को बहुत दे दी है । इस दृष्टि से अश्वघोष और हेमचन्द्र उच्चकोटि के १. A. B. Keith; History of Sanskrit Literature. पृष्ट १२७
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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