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________________ १३४ संस्कृत साहित्य का इतिहास के लगभग मानना चाहिए । उसने १६ सर्गों में रघुनाथभूपविजय नामक काव्य लिखा है। इसका दूसरा नाम साहित्यरत्नाकर है । इसमें रघुनाथ का जीवनचरित है। राजचूड़ामणि दीक्षित अप्पयदीक्षित के समकालीन रत्नखेट श्रीनिवास दीक्षित का पुत्र था । वह तन्जोर के राजा रघुनाथ का आश्रित कवि था । वह १६२० ई० के लगभग था । उसने विभिन्न विषयों पर कई ग्रन्थ लिखे हैं। उसने १० सर्गों में रुक्मिणी-कल्याण नामक काव्य लिखा है। इसमें कृष्ण का रुक्मिणी के साथ विवाह का वर्णन है । इसकी शली सरल और सुन्दर है । राजा रघुनाथ की पत्नी रानी रामभद्राम्बा उच्चकोटि की कवियित्री थीं। वह अपने पति को श्रीराम का अवतार मानती थी। उसने अपने पति के पराक्रमों की प्रशंसा में १२ सर्गों में रघुनाथाभ्युदय नामक काव्य लिखा है। रघुनाथ स्वयं भी उच्चकोटि का कवि था । कहा जाता है कि उसने बहुत से ग्रन्थ लिखे हैं। चक्र कवि ने ८ सर्गों में जानकीपरिणय नामक काव्य लिखा है । इसमें राम और सीता के विवाह का वर्णन है। वह मदुरा के तिरुमल नायक का आश्रित कवि था । उसका समय १६५० ई० है । __ नीलकण्ठ अप्पयदीक्षित के भाई का पौत्र था। वह १६१३ ई० में उत्पन्न हुआ था । वह गोविन्द दीक्षित के पुत्र वेंकटेश्वर मखिन का शिष्य था। वह मदुरा के तिरुमल नायक का प्रधान मन्त्री था । उसके साहित्यिक कार्य का समय १६५० ई० के लगभग मानना चाहिए। उसने उच्च शैली में कई मनोहर ग्रंथ लिखे हैं । उसने शिवलीलार्णव और गंगावतरण दो काव्य ग्रन्थ लिखे हैं। पहले में २२ सर्ग हैं। इसमें हालास्यनाथ की ६४ क्रीड़ाओं का वर्णन है । मदुरा में शिव की हालास्यनाथ नाम से ही पूजा होती है । गंगावतरण में ८ सर्ग हैं। इसमें भूतल पर गंगा के अवतरण का वर्णन है। वेंकटाध्वरी कांची का निवासी था। वह रामानुज के सम्प्रदाय का था। वह एक महान् कवि और दार्शनिक था । वह १६५० ई० के लगभग हुआ
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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