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________________ १३० संस्कृत साहित्य का इतिहास है कि किस प्रकार उसने अलाउद्दीन से एक मुसलमान को आश्रय देकर बचाया और परिणामस्वरूप अलाउद्दीन ने उसकी राजधानी को घेर लिया और उसे मार डाला । • वासुदेव के पिता का नाम महर्षि और माता का नाम गोपालिका था । वे मालाबार के वेदारण्य स्थान के निवासी थे । उसने २१ काव्य-ग्रन्थ लिखे हैं । उनमें से कुछ यमक अलंकार से परिपूर्ण हैं । इनमें से युधिष्ठिरविजय और नोद दो अधिक प्रसिद्ध काव्य हैं । प्रथम में युधिष्ठिर के पराक्रमों का वर्णन आठ आश्वासों में है । दूसरे में नल की राज्य प्राप्ति के बाद नल के जीवन का चार आश्वासों में वर्णन किया गया है । प्रथम में उल्लेख है कि इस काव्य की रचना के समय राजा कुलशेखर राज्य करते थे और दूसरे में राजा राम का उल्लेख है । इन दोनों उल्लेखों के आधार पर कोई समय का निर्णय नहीं किया जा सकता है । मालाबार में कई राजा हुए हैं, जिसकी उपाधि कुलशेखर है । विद्वानों ने इस लेखक का समय आदि निश्चित नहीं किया है । मालाबार में कई कवियों का नाम वासुदेव है । कुछ आलोचकों का मत है कि युधिष्ठिरविजय काव्य का रचयिता और नलोदय काव्य के रचयिता दो भिन्न वासुदेव हैं । कुछ विद्वानों ने युधिष्ठिर विजय के कुशलशेखर के आधार पर लेखक का समय ८०० ई० के लगभग माना है । उनका मत है कि इस समय केरल में कुलशेखर नाम का एक राजा राज्य करता था । कुछ विद्वानों ने इसका समय १६वीं शताब्दी माना है । उनके मतानुसार यह वासुदेव ही नारायणीय का लेखक तथा नारायण भट्ट का पुत्र है । नलोदय का समय १५६६ ई० से पूर्व होना चाहिये, क्योंकि इसकी सबसे प्राचीन हस्तलिपि का समय यह है । उद्दण्डकवि (१४०० ई०) ने वासुदेव के पिता का नाम महर्षि लिखा है । ' वाचस्पति मिश्र ( ८५० ई०) को न्यायकणिका की टीका कवि वासुदेव के भतीजे परमेश्वर ने की है । अतः लेखक का समय ६०० ई० से १४०० ई० १. दशम ओरियन्टल कान्फ्रेन्स के विवरण में यमक कवि वासुदेव के विषय में बेंकटराम शर्मा का लेख ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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