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________________ अध्याय १२ काव्य-साहित्य कालिदास संस्कृत-कवि-शिरोमणि महाकवि कालिदास के विषय में निश्चित रूप से कुछ भी ज्ञात नहीं है । उसके जीवन के सम्बन्ध में बहुत-सी कथाएँ प्रचलित हैं । एक कथा के अनुसार वह महामूर्ख था । उसका विवाह एक सुयोग्य कलाप्रवीण राजकुमारी से हरा । उसके प्रबोधन पर उसने देवी काली की उपासना की और उसके वरदान से उसे कवित्व-शक्ति प्राप्त हुई। तदनन्तर उसने अपने काव्यग्रन्य बनाए। एक अन्य कथा उसका सम्बन्ध लंका के राजा कुमारदास (५०० ई०) से बताती है । कालिदास भ्रमणार्थ लंका गए थे । वहीं पर उनका परिचय वहाँ के राजा से हुआ। राजा कालिदास की काव्य-प्रतिभा से प्रसन्न होकर उन्हें बहुमूल्य वस्तुएँ प्रदान करना चाहते थे। वहाँ की एक वेश्या उन वस्तुओं को राजा से प्राप्त करना चाहती थी, अतः धन के लोभ में उसने कालिदास की मृत्यु कराई । इस प्रकार कालिदास का देहान्त लंका में हुआ। अन्य परम्परा के अनुसार वह धारा के राजा भोज का आश्रित कवि था। इन सब कथाओं और विचारों को सत्य नहीं माना जा सकता है, क्योंकि ऐसा मानने में समय-सम्बन्धी कठिनाई मुख्य रूप से आती है। ये कथाएँ कालिदास के समर्थकों और प्रशंसकों द्वारा बनाई हुई समझनी चाहिए । धारा के राजा भोज (१००५-१०५४ ई०) का आश्रित कवि परिमल था । इसी का दूसरा नाम पद्मगुप्त है। उसकी मनोहर शैली कालिदास की शैली से मिलती हई थी। अतः उसको कालिदास या परिमल कालिदास की उपाधि दी गई थी। सम्भवतः भ्रमवश परिमल को ही वास्तविक कालिदास समझ लिया गया। अतएव राजा भोज का आश्रित कवि कालिदास को माना जाने लगा। EE
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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