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________________ छहढाला ___ (२) देशव्रतके अतिचारः-वर्ष, मास, पक्ष, दिन आदिके लिये देशव्रतमें जितने क्षेत्रका परिमाण कर लिया है, उससे बाहर किसी व्यक्तिको या नौकर आदिको भेजना प्रेषण नामका पहला अतिचार है। मर्यादाके बाहर स्थित पुरुषको शब्द सुनाकर अपना अभिप्राय प्रगट करना शब्दश्रावण नामका दूसरा अतिचार है । मर्यादासे बाहरवाले क्षेत्रसे किसीको बुलाना, या कोई वस्तु मंगवाना सो आनयन नामका तीसरा अतिचार है, मर्यादित क्षेत्रसे बाहर काम करने वाले पुरुषको हाथ आदिसे संकेत करना रूपाभिव्यक्ति नामका चौथा अतिचार है । इसी प्रकार मर्यादासे बाहरवाले पुरुषको कंकर, पत्थर आदि फेंक कर इशारा करना बुलाना, सो पुद्गलक्षेप नामका पाँचवाँ अतिचार है । (३) अनर्थदंडव्रतके अतिचार-राग-भावकी अधिकतासे हँसी मजाकके साथ अशिष्ट और भएड वचन बोलना कन्दर्प नामका पहला अतिचार है। हँसी मजाक करते हुए कामकी कुचेष्टा करना कौत्कुच्य नामका दूसरा अतिचार है । धृष्टतापूर्वक बहुत बकबाद करना, अनर्थक बातचीत करना, प्रलाप करना सो मौखर्य नामका तीसरा अतिचार है। भोग और उपभोगकी वस्तुओंको आवश्यकतासे अधिक रखना सो अति प्रसाधन या भोगानर्थक्य नामका चौथा अतिचार "प्रेषणशब्दानयनं रूपाभिव्यक्तिपुद्गलक्षेपौ । देशावकाशिकस्य व्यपदिश्यन्तेऽत्ययाः पंच ॥ ... रत्नक.
SR No.032048
Book TitleChhahadhala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatram Pandit, Hiralal Nyayatirth
PublisherB D Jain Sangh
Publication Year1951
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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