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________________ आश्रवाऽधिकारः। ૨૨૭ सम्बर ने पिण निवृत्ति रूप आत्मा ना परिणाम कह्या। देश थकी जीव उजलो. देश की कर्म नों खपाविवो. ते निर्जरा कही। सर्व कर्म रहित :जीव ने मोक्ष कहिई। इम आश्रव. सम्बर. निर्जरा. मोक्ष. ४ जीव में घाल्या। अने पुण्य शुभ कर्म कह्यो, पाप अशुभ कर्म कह्यो, बन्ध ते शुभाशुभ कर्म कह्यो। कर्म-पुद्गल कह्या। पुद्गल ने अजीव कह्या। इम पुण्य. पाप. बन्ध. नें अजीव में घाल्या। इणन्याय नव पदार्था' में ५ जीव. ४ अजीव. कहीजे। पाठ में पिण अनेक ठामे आश्रय सम्बर, निर्जरा. मोक्ष. ने जीव कह्या। डाहा हुवे तो विचारि जोइजो । इति १४ बोल सम्पूर्ण। इति आश्रवाऽधिकारः।
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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