SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ट ) ३० बोल पृष्ठ १६१ से १६३ तक। सावध-निरवद्य अनुकम्पा ऊपर न्याय ( नि० उ० १२ बो० १.२) __ ३१ बोल पृष्ठ १६४ से १६५ तक । "कोलुण वड़ियाए" पाठ रो अर्थ (नि० उ० १७ बो० १-२ ) ३२ बोल पृष्ठ १६५ से १६७ तक । "कोलुण" शब्द रो अर्थ ( आ० श्रु० २ अ० २ उ० १) __३३ बोल पृष्ठ १६७ से १६८ तक। भनुकम्पा ओलखना ( अन्तगड़ ३ वा ८ अ० ) ३४ बोल पृष्ठ १६८ से १६६ तक । कृष्णजी डोकरानी अनुकम्पाकीधी ( अन्त० व०३) ३५ बोल पृष्ठ १६६ से १६६ तक। Y यक्षे हरिकेशी मुनि नी अनुकम्पा कीधी ( उत्त० अ० १३ गा० ८) ___३६ बोल पृष्ठ १७० से १७० तक। "धारणी राणी गर्भनी अनुकम्पा कीधी ( ज्ञाता अ० १) ३७ बोल पृष्ठ १७० से १७१ तक । 7 अभय कुमार नी अनुकम्पा करी देवता मेहवरसायो (ज्ञाता अ० १) ३८ बोल पृष्ठ १७१ से १७२ तक। जिन ऋषि रयणा देवी री अनुकम्पा कीधी ( ज्ञाता अ०६) ___३६ बोल पृष्ठ १७२ से १७३ तक। . करुणानों न्याय-प्रथम आश्रव द्वार ( प्रश्न० अ० १) ४० बोल पृष्ठ १७३ से १७४ तक। - रपणा देवी करुणा हित जिन ऋषि ने हण्यो (शाता० अ० ६) ४१ बोल पृष्ठ १७५ से १७५ तक। सूर्या भे नाटक पाड्यो ते पिण भक्ति कही छै ( राज प्र०)
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy