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________________ लब्धि अधिकार। फोडे, तेहनों व्रत पिण भांगे अमें पाप पिण लागे। अनें खाधु बिना अनेरो वैक्रिय लब्धि फोड़े तेहनों व्रत न भांगे पिण पाप तो लागे। तो अम्बड पिण वैक्रिय लब्धि फोड़ी नेहनों व्रत न भाग्यो विण पाप तो लाग्यो । ए तो आप रे छांदे ए कार्य कियो पिग धर्मदीपग निमित्ते नहीं। एतो लोकां ने विस्म्य उपजावण निमित्त वैक्रिय लब्धि फोड़ी सौ घरों पारणो कियो वासो लियो। ते पाठ लिखिये छ। बहु जणेणं भंते ! अण्ण मण्णस्स एव माइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परवेइ एवं खलु अंधडे परिब्बायए कंपोल पुरणयरे घर सत्ते आहार माहारेति घरसत्ते वसते वसहि उवेझ से कहमेचं भंते! एवं गोयमा : जणं बहुजणे एव माइक्खंति जाब घरसत्तेहि बसेहि उवेति सच्चेणं एसम? अहं पुण गोयना ! एव माइक्वामि जाब परूवेमि एवं खलु अंबड़े परिब्बाइए जाव बलाहें उबेति से केणटुणं भंते ! एवं बुञ्चति अंबडे परिधाइए जाव बसहिं उबेति गोयमा ! अंबडस्सणं परिब्वायगस्त पगति भइयाए जाव वीणियत्ताए छटुं छटेणं अणिक्खितेणं तवो कम्नेणं उड्ढवाहाओ पगिझिय २ सुराभिमुहस्स आयावण भूमिए आयावेमाणम्स सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहि अज्झवसाणहिं लेस्सेहिं विसुज्झमाणीहिं अण्णया कयाइं तदा वरणिजाणं कम्माणं खडवसमेणं ईहा पूह मग्ग गवसणं करेमाणस्स विरिय लद्धि वेउब्विय लद्धि ओहिणाण लद्धि समुप्पण्णा तएणं से अवडे परिवायए ताए वीरिय लद्धिए वेउव्विय लद्धिए ओहिणाण लद्धि समुप्पणाए जण विह्मावण हे
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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