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________________ भ्रम विध्वंसनम्। वली केई कहै-श्रावक सामायक पोषां में बैठो छै तेहने कारण अपना और गृहस्थ साता करे, तो साधु आज्ञा न देवे परं धर्म छै। एहनें सावध रा त्याग छै। ते माटे पहनी ब्यावच कियां पाप नहीं। इम कहै तेहनो उत्तरसामायक पोषां में आगमिया काल में सावदय सेवन रो त्याग नहीं छै। आगमिया काल में सावध सेवन री इच्छा मिटी नहीं। तो जोवोनी इण शरीर थी आगमिया काल में पांच आश्रव सेवण रो आगार छै। ते भणी तेहनों शरीर शस्त्र छै। अने जे शरीर नी व्यावच करे तेणे शस्त्र तीखो कीधो जिम कोई मासताइ छुरी कटारी सूं जीवहणवारा त्याग कीधा ते छुरी तीखी करे तो पिण आगमिया काल नी अपेक्षा तिण वेलां शस्त्र तीखो कियो कहिये। तिम सामायक पोषा में इण काया सं पांच आश्रव सेवण रा त्याग परं आगमिया काल में ते काया थी ५ आश्रव सेवण रो आगार ते माटे ए शरीर शस्त्र छै। तेहनी व्यावच करण वाले छः काया रो शस्त्र तीखो कीधेो कहिये। हिवडा त्याग परं आगमिया काल नी अपेक्षा ए शरीर शस्त्र छै। वलो सामायक पोषा माहि पिण अनुमोदण रो करण खुल्यो ते न्याय शस्त्र कह्यो छै। वली कोइक मास में ६ पोषा ८ पोहरिया करे छै। अने परदेशां दूकाना छै। सैकड़ा गुमाश्ता कमाय रह्या है। तो ते वर्ष रा ७३ पोषा रो गाज लेवे कि नहीं। बहत्तर दिन में जे गुमाश्ता हजार रुपया कमावे ते सर्व नफो वे कि नहीं। सर्व नो मालिक तो एहिज छै। ते माटे पोषा में पिण तांतो तूट्यो नथी। परिग्रह ममत्व भाव मिट्यो नहीं। ते साख भगवती श० ८ उ० ५ कही छै। ते माटे सामायक में पिण तेहनी आत्मा शस्त्र छै। तिवारे कोई कहै सामायक में श्रावक री आत्मा शस्त्र किहां कही है। तेहनूं उत्तर सूत्र पाठ मध्ये कह्यो । ते पाठ लिस्त्रिये छै समणो वासगस्स णं भंते ! सामाइय कडस्स समणोवरसए अस्थमाणरस तस्स णं भंते ! किं ईरियावहिया किरियाकजइ. संपराइया किरिया कजइ. गोयमा ! नो ईरिया वहिया किरिया कजइ. संपराइया किरिया कजइ. से केणट्रेणं जाव संपराया गोयमा ! समणोवासयस्स णं सामाइय
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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