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________________ दशनाऽ ऽधिकारः 1 तिबारे कोई एक कहे जो पड़िमाधारी में दियां धर्म न हुवे तो "दशा श्रुत' में इम क्यूं कह्यो । जे पड़िमाधारी न्यातीलारे घरे भिक्षा ने अर्थ जाय, तिहां पहिलां उतरी दाल अनें पछे उतला चावल तो कल्पेपडिमाधारी नें दाल लेणी, न कल्पे चावल लेवा ॥१॥ अने पहिलां उतसा चावल पछे उतरी दाल तो कल्पे चावल लेवा न कल्पे दाल ॥२॥ दाल अनें चावल दोतूइ पहिलां उतला तो दोनूंह कल्पे ॥३॥ अनें दोनुं पछे उतस्या तो दोनुं न कल्पे ॥४॥ इहां चावल दाल पहिला उतरला ते पड़िमाधारी ने लेवा कल्पे, कला ते माटे पड़िमाधारी लेवे हमें जिन आशा छै । आज्ञा वाहिरे हुवे तो कल्पे न कहिता। इम कहे तेहनों उत्तर-ए कल्प नाम आज्ञा नो नहीं है। ए कल्पनाम तो आचार नों छै । पड़िमाधारी नें जेहवो आचार कल्पतो हुन्तो ते बतायो । पिण आज्ञा नहीं दीधी । इम जो आज्ञा हुवे, तो अम्बड में अधिकारे पिण एहवो कह्यो । ते पाठ लिखिये 1 १०१ trate परिब्बायगस्स कप्पति भागहए श्रद्धाढए जलस्स पड़िगाहिलए सेविय, बहमाणे गोचवणं अवहमाणे एवं थिमियं पलणे परिपूए हो चेत्र अपरिपए सेविय, सावज्जेति को चेवणं वज्जे सेविये, जीवातिकाओ गो चेव जीवा सेविय दिराणे णो चेवणं दिसेविय हत्थ पाय चरु चम्म पखालण्याए पवित्तएवा सो चैत्र सिलाइन्तएवा । ( वाई प्रश्न १४ ) ० अब परिव्राजक ने कल्पे. म० मगध देश सम्बन्धी अधीक मान विशेष सेर ४ ज० जल पाणी नों पडिगाहियो अतिशय सूं ग्रहियो से० ते पिण बहती नदी प्रादिक संबंधि वाहनों शो० न लेवो तो बावड़ी कूत्रा तालाब सम्बन्धी पाणी. ए० इम पाणी नीचे कादो न थी. प० प्रति श्राछो निर्मल प० वस्त्रे करी में गल्यो लेवो. गो० पिया ते न लेवो. ० जे वस्त्रे करी करी गल्यो न हुई. से ० ते. पिण निश्चय करी सावध पाप सहित ति० एहवो कही. पण ले न जाणे अनवद्य. चे० ( पदपूर्ण भणी) से० ते पिया जीब सचेतन रूप ति
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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