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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण २१-८२ ॥ M m प्रकृति-भाव सन्धि : अपवाद नित्यसन्धि : नियम और उदाहरण व्यञ्जन सन्धि : नियम और उदाहरण पदान्त के मकार की व्यवस्था : नियम और उदाहरण अनुस्वार की व्यवस्था अनुस्वरागम : नियम और उदाहरण अनुस्वार लुक : नियम और उदाहरण - अव्यय सन्धि : स्वरूप, व्यवस्था और उदाहरण अव्यय सन्धि के अपवाद . अध्याय ३ वर्ण विकृति वर्ण विकृति के सामान्य नियम और उदाहरण अन्त्य हल व्यञ्जन को व्यवस्था समृद्धिगण के शब्दों में हस्व-दीर्घ स्वर व्यवस्था आकृति गण और स्वप्नादि गण : स्वर विकृति प्रथम प्रभृति शब्द : स्वरविकृति पानीयगण : स्वर विकृति मुकुलादि गण : स्वर विकृति कृपादिगण : स्वर विकृति ऋतु प्रकृति शब्दों में ऋकार विकृति दैत्यादि और पैरादिगण : स्वर विकृति सौन्दर्यादि गण : स्वर विकृति कौक्षेय ओर पाशदि गण: स्वर विकृति व्यञ्जन विकृति : नियम और उदाहरण मध्यवर्ती क-ग-व-ज-त लोप : उदाहरण मध्यवर्ती द-प-य-व लोप : उदाहरण लोप के अपवाद ख-घ-थ-ध-भ के स्थान पर ह : उदाहरण ट-ठ-ड के स्थान पर ड-ढ-ल : उदाहरण त के स्थान पर ड : उदाहरण ऋत्वादि गण में तकार के स्थान पर द : उदाहरण ने के स्थान पर ण : निगम और उदाहरण m 0 ० ० ७ ७ ७ ७ ७ ur
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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