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________________ कारकप्रयोगानुक्रमणिका पज्जुणो २३५ माणवों धम्म सासइ वच्छ वच्छं पडि सिच्चा पयेण ओदनं भुंजइ २३६ २३६ . २३६ परिजणो' 'चिटइ २३७ मोणवों पहं पुच्छइ २३६ वाउ २३७ परिओ किसणं २३७ मासेसु अस्सं बंधइ २३६ विउसाणं.."सेवीअउ पाएण खंजो २३८ मुत्तिणो हरि भजइ २४० २३४ पावत्तो दुगुच्छ मुणिस्स, मुणीणं देइ २४० विजुज्जोमं भरइ रत्तिं । विरमइ वा २४० मोक्खे इच्छा अस्थि २४२ पिअराणं सुहा २४० मोहणं अणुगच्छइ हरी विप्पाय वा विपस्स पिअरेण 'सण्णाणइ २३७ गावं देइ २३९ २३८ पिधं रामेण,रामं वा २३८ रसेण महुरो - २३८ वेअं पढइ २३६ पुण्णेण दिट्ठो हरि २३८ रामत्तो २३८ सप्पो भयं २४१ पुत्तेण सहाअओ पिआ रामेण बाणेन हओ सयेण सयरस वा बाली २३७ परिकीणइ २४० पुत्थक पढइ २३६ रामो जलेन कडं सयंभू २३५ पुप्फाणं सिहइ २३९ पच्छालइ २३७ सामो अस्सपइणो बालकस्स मोअआ . रामो कलहत्तो बीहइ सई धरइ २३९ रोअन्ते २३९ २४१ सीमाधरस्ल वन्दे २४२ बंभणस्स हिअं सुहं वा रामो झाईअइ २३५ सुसिप्परं वच्छं २४० २३७. भत्तस्स भत्ताय वा धरइ रुक्खं ओचिवह सुहेण जाइ २३८ मोक्खं हरी २३९ फलाई २३८ । संपजइ २४० भत्ती गाणाय कप्पइ२४० लक्खरणो रामेण हरिणो नमो २४० भत्ती गाणाय संपजइ सारं गच्छइ २३८ हरिणो रोयइ भत्ती २३९ जाअइ वा २४० भत्तो विसणुं पडि लच्छी हरि पडि हरिं भजइ २३६ __ अणु वा २३७ __ अणु वा २३७ हरी वहांठं उववसइ मम तव विचारो रोयइवच्छ पडि विज्जुअइ २३९ विज्जु - २३७ हा किसरणा मत्तं २३७ खणा रामेण २३७.
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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