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________________ धातु AE व्रज वुन दृश प्रह तक्ष तापि अभिनव प्राकृत-व्याकरण अपभ्रंश का धात्वादेश आदेश . उदाहरण अहरि पहुच्चइ नाहुद अधरे प्रभवति नाथः । ब्रुवह सुहासिउ किंपिब्रूत सुभाषितम् किञ्चित् । ब्रोप्प ब्रेप्पिणुर उक्त्वा। वुअइ, वुप्पि, वुप्पिणु । प्रस्स प्रस्सदि। एण्ड पढ गृहेप्पिणु तु < पठ गृहीत्वा व्रत । छोल्ल ससि छोलिलजन्तु शशो अतिक्षिष्यत । सासानलजाल झलक्किअउ<श्वासाललज्वालासन्तापितम् । हिअइ खुडुका हृदयं शल्यायते। घुटुक्क घुडुक्कइ मेहु <गर्जति मेघः । वंचइ जाता है। भग्न करता है। धुटु अइ गर्थ शब्द करता है। क्रियाओं में जुड़ने वाले प्रत्यय एकवचन बहुवचन इ, ए हि झल्लक शल्याय बंच भज्ज भजह थुछ प्र० पु० म० पु० उ०पु० उं हुँ 4. आज्ञार्थ एवं विध्यर्थक प्रत्यय एकवचन बहुवचन प्र० पु० उ म. पु० इ, उ, ए उ० पु० उ भविष्यकाल के प्रत्यय एकवचन बहुवचन प्र० पु० इ म० पु० हि, सि उ० पु० मि, मो Chhoy they
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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