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________________ ४५० अभिनव प्राकृत-व्याकरण हस धातु-वर्तमानकाल एकचवन बहुवचन प्र० पु० हसति, हसेते हसन्ति, हसते, हसिरे, हसेहरे म० पु० हससि, हससे हसित्था, हसध, हसह उ० पु० हसमि, हसेमि हसमो, हसमु, हसम कृदन्त क्त्वा प्रत्यय के स्थान में तून, स्थून और द्धन प्रत्यय होते हैं । यथापठितून < पठित्वा-पठ धातु में तून प्रत्यय जोड़ने से। गन्तून < गत्वा-गम् धातु में तून प्रत्यय जोड़ने से । नत्थून < नष्ट्वा-नश् धातु में त्थून प्रत्यय जोड़ने से । तत्थून < दृष्ट्वा-दृश धातु में स्थून प्रत्यय जोड़ने से। नदन < नष्ट्वा-नश् धातु में धून प्रत्य जोड़ने से। तळून दृष्ट्वा-दृश् धातु में खून प्रत्यय जोड़ने से । पैशाची के कुछ शब्द पैशाची संस्कृत ध्वनिपरिवर्तन मेखो मेष: घ के स्थान पर ख हुआ है। गकनं गगनम् ग के स्थान पर क। राचा राजा ज के स्थान पर च । णिच्छरो निरः में के स्थान पर च्छ । वटिस ड के स्थान पर ट। दसवत्तनो दशवदनः द के स्थान पर त । माथवो माधव: ध के स्थान पर थ। गोविन्तो गोविन्दः द के स्थान पर त । केसवो केशवः श के स्थान पर स। सरफसं सरभसं भ के स्थान पर फ। शलभः संगामो संग्रामः प्र के स्थान पर ग। इव के स्थान पर पिव आदेश । तरुणी र के स्थान पर ल। कसट कष्टम् स्वरभक्ति के नियम से ष्ट का पृथक्करण । स्नानम् स्न का सनेहो स्नेहः भारिआ भार्या यो का वडिशम् सलफो पिव तलुनी सनानं
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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