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________________ ४३८ अभिनव प्राकृत-व्याकरण पड पा पिवई बंध बीह HOT भज माद रोना पज्ज गमन करना पजइ पजिजइ पजावेइ उद् + पज उत्पत्ति होना उपजा - - उप्पजिजइ उप्पजावेइ णि + पज निष्पत्ति णिप्फजइ णिप्फजिजइ निप्फजावेइ पतन-गिरना पडइ पडिजइ पाडेइ पीना पाइज्ज इ पजेइ पुच्छ पूछना पुच्छ पुच्छिन्नइ पुच्छेइ बंध बंधन बंधिज्जह बंधावेह भयभीत होना भीमद बीहिजइ बीहावे सत्ता होना भव भविजइ भावे विदीर्ण करना भिदइ भिदिजइ भिंदावेइ भोजन करना भुंजइ भुज भुंजावेइ प्रमाद करना मादइ मादिजइ मादावेइ मिल मिलना मिलइ मिलिजइ मिलावेइ रंभ आरंभ करना रंभ भिजइ रंभावेइ गमन करना रिम रिइजइ रियावेद रोवह रुदिजह रुदावेद लम प्राप्त करना लभइ लब्भइ छेदना, काटना लुणइ लुणिजइ लुणावेइ लोभ करना लुभिजइ लोभेइ सुनना सुणेइ, सुणइ सुव्वइ सुणावेइ बोलना वच्च उच्च वच्चावे पहुँचाना वहइ वुज्झइ वहावेह हवा चलना वाइ वाइज्ज वावेइ सास अनुशासन सासह सासिजइ सासावेह बनाना, निर्माण करना सिरिजह सिरावेह सिव्व सीना, बांधना सिव्वद सिव्वावेह शोक करना, सीय सीयावे विषाद करना सोना सुवइ, सुयइ सुइजह सुयावेइ सुस्सुस सेवा करना सुस्सूसइ सुस्सुसिजहू सुस्सुसावेइ हण हिंसा करना हणइ हम्मद हणावेइ लाभेइ लुण लुब्भइ वच्च वह वा सिरइ सिव्विजइ सीइजा सीय सुय
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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