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________________ ३७३ Vमुह. मुण अभिनव प्राकृत-व्याकरण मुअ, मुक्क, मुअ मोदय , Vमुच् खुश होना; छोड़ना Vमुण्डय मूंडना मुच्छ मूर्छ मूच्छित होना मुझ मोह करना Vज्ञा जानना मुन्य मोहर लगाना विलास करना, जीभ चलाना, व्याप्त करना स चोरी करना मिलाना मोड़ना, टेढ़ा करना मोहय भ्रम में डालना मेलय मोट्य् अन् गमन करना याण जानना མ ཝ - ཝ ཝ ཝ ཝེ ཀྵ ལྕེ ཝ ཝ ༈ ལ་ ཝ ཝ ཟླ༔ སྣ སྣ སྨཡཱ ཨཱ ཡྻ ཨཱ ཡྻ ཡྻ སྨཱ ཡྻ र रङ्ग रङ्गय् रज्जर र तक्ष गम् , आ + रम् रिक्ष रक्ख. रच, रज्ज रड रज स्ट आ + क्रम् इधर-उधर जाना रंगना रंग लगाना राधना, पकाना छीलना, पतला करना जाना, गति करना; आरम्भ करना रक्षण करना, पालन करना अनुराग करना, आसक्त होना रोना, चिल्लाना आक्रमण करना क्रीड़ा करना, संभोग करना रंगना; बनाना, निर्माण करना कहना, बोलना आई करना चिल्लाना, आवाज करना रप्प रम रिज , रचय रव रव, राव रस रस् रह . रहना
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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