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________________ ३६८ अभिनव प्राकृत-व्याकरण ...... पमज्ज प्र+मज . प्र+Vमा पमा - मार्जन करना, साफ सुथरा करना सत्य-सत्य ज्ञान करना प्रमाद करना प्र+मद् मुरझाना मलाय पमाय पमिलाय पम्हअ, पम्हस पय पयल्ल पया प्र + स्मृ पंच , पदू पयार प्र+Vया प्र+ चारथ परा + जि परा + मृश् क्षिप पराइ परामुस परि परिआल परिक्कम परिगिला परिजव Vवेष्टय परि + क्रिम् परि + ग्लै परि + विच भूल जाना पकाना, जाना शिथिलता करना, ढीला होना प्रयाण करना, प्रस्थान करना प्रचार करना, प्रतारण करना हराना, पराजय करना स्पर्श करना, छूना फैंकना वेष्टन करना, लपेटना पांव से चलना, पैदल चलना ग्लानि होना पृथक करना रक्षण करना स्तुति करना मार्जन करना गिर पड़ना, सरक जाना बढ़ना सूखना आलिंगन करना परित्ता परिथु परिमइल परिल्हस परिवड्ढ परिवा परिस्सअ परिह पहिरना परी परि + स्तु परि + मृज परि + संस् परि + Vवृध परि + Vवा परि + स्वज परि + Vधा परि + Vइ, क्षिप , भ्रम् परि + अस् परा + अय् प्रवि+जी प्र+भाष प्र+ भू पायय प्र+कटय पलट्ट पलाय पविणी पहास पहुच्च पाए पागड जाना; फेंकना; भ्रमण करना पलटना, बदलना भाग जाना दूर करना बोलना पहुँचना पिलाना प्रकट करना
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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