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________________ ३६२ णिवड णिवस णिवह णिवार बैठना णिविस णिवेअ णिव्वड णिवण्ण णिवत्त णिव्वय णिव्वर णिव्वल णिव्वव णिव्वह णिव्वा णिव्विज णिव्विस णिव्वे णिठवेल णिव्योल अभिनव प्राकृत-व्याकरण नि + पत्नीचे पड़ ना, नीचे गिरना नि + Vवस् ----- निवास करना गम्, निश, पिष जाना; भागना, पलायन करना, पीसना नि+वारय निवारण करना, निषेध करना निर + विश् नि+ विदय सम्मानपूर्वक ज्ञापन करना मुच् , भू दुःख को छोड़ना; पृथक् होना, जुदा होना निर + वर्णय श्लाघा करना, प्रशंसा करना, देखना निर + वर्तय् + वृत्तय बनाना, करना; गोल बनाना, वर्तुल करना निर + va शान्त होना कथ् , छिद् दुःख कहना; छेदन करना, काटना निर+पद् निष्पन्न होना निर + Vवापय् ठंडा करना, बुझाना निर + Vवह , निभाना, निर्वाह करना; धारण करना, । उद् + वह ऊपर उठाना वि+ श्रम् विश्राम करना निर + विद् निर्वेद पाना, विरक्त होना निर + विश त्याग करना निर + Vवेष्टय नाश करना, क्षय करना निर + Vवेल फुरना क्रोध से होठ काटना, होठ को मलिन करना नि + Vशमय सुनना नि+ Vशाणय शान पर चढ़ाना, तीक्ष्ण करना नि+सृज बाहर निकालना, त्याग करना नि+Vषद् बैठना नि+ Vशुम्भ मार डालना, मारना नि + श्रु सुनना नि + सेव सेवा करना नि+ षिध् निषेध करना, निवारण करना णिसम णिसाण णिसिर णिसीअ णिसुंभ णिसुण णिसेव णिसेह
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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