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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण ३५६ भ्रम् डुल, डोल दोलय घूमना, चक्कर लगाना डोलना, हिलना, कांपना उल्लंघन करना, कूद जाना उत् + Vलंघ भ्रम् छादय् ढंढल्ल, दुम ढक्क ढाल दुक्क घूमना, भ्रमण करना ढकना, आच्छादन करना टपकना, नीचे गिरना, नीचे पड़ना भेंट करना, अर्पण करना Vढोक गंद नन्दू णच, णट्ट णज्ज, णप्प, णा णड णद नृत् , निट ज्ञा Vगुप् नदू नि + अस् , निश् निमय नाशय णस... दृश् णाम णास, णासव णिअ, णिअच्छ णिअच्छ णिअट्ट णिअद णिअम णिउंज खुश होना, आनन्दित होना, समृद्ध होना नाचना, नृत्य करना जानना, समझना व्याकुल होना नाद करना, आवाज करना स्थापन करना; भागना, पलायन करना नमाना, नीचा करना नाश करना देखना नियमन करना निवृत होना, बनाना कहना, बोलना नियन्त्रित करना जोड़ना, संयुक्त करना मजन करना, डूबना निन्दा करना नियमन करना, नियन्त्रण करना काटना, छेदना णिउड्ड जिंद नि+यम् नि + वृत नि+गद् नि+यम् नि + युज मस्ज ,नि + Vब्रुड निन्द नि+काचय नि + कृत नि + Vकुट - . निर् + कस् निर+क्री णिकाय णिकिंत णिकुट्ट - णिकस णिक्किण निकासना, बाहर निकालना निष्क्रय करना, खरीदना
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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