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________________ ३५४ अभिनव प्राकृत-व्याकरण गालय गुंठ गुड् गुड गुण गह ग्रह ग्रहण करना गहगह दे० ..... -- हर्ष से भर जाना . गा, गाअ गाना, आलापना गाल गालना, छानना गाह ग्राहय ग्रहण करना गिज्झ Vध आसक्त होना, लम्पट होना गिर, गिल V2 बोलना, उच्चारण करना; निगलना गुण्ठ धूसरित करना, धूल के रंग का करना गुभ, गुम्ह, गुंफ गुम्फ गूंथना युद्ध के लिए तय्यार करना, सजाना गुणय गिनना गुप्प गुप् व्याकुल होना गुम भ्रम् घूमना, पर्यटन करना गुम्म, गुम्मड मुह मुग्ध होना, घबड़ाना, व्याकुल होना गुलगुंछ उत् + शिप ,उत् + /नमय ऊँचा फेंकना, ऊँचा करना, उन्नत करना गुलगुल गुलगुलाय गुलगुल आवाज करना गुलल खुशामद करना गृह छिपाना, गुप्त रखना गेण्ह ग्रहण करना गोपाय छिपाना, रक्षण करना चाटुक गुह. ग्रह. गोवाय घद्र घट्ट घड, घडाव Vघट घत्त, घल्ल घत्त घाड घाय क्षिप् , गवेष् ग्रह भ्रंश हिन् ग्रस् स्पर्श करना, छूना चेष्टा करना, बनाना, मिलाना; बनवाना फेंकना, डालना, दढ़ना, खोजना ग्रहण करना भ्रष्ट होना, च्युत होना मारना, विनाश करना प्रसना, निगलना, भक्षण करना गर्जना घिस घुडुक्क गर्ज
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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