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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण ३३३ अनियमित शीलधर्म वाचक कृदन्त पायगो, पायओ< पाचकः-च कार का लोप, अ त्वर शेष और य श्रुति, ककार का लोप और विसर्ग का ओत्व, विकल्प से क के स्थान पर ग। नायगो, नायओर नायक:-विकल्प से क के स्थान पर ग तथा विकल्पाभाव पक्ष में क का लोप, अ स्वर शेष और विसर्ग को ओत्व। नेआ, नेता<तकार का लोप और आ स्वर शेष । विजंदविद्वान् -द्व के स्थान पर ज, आकार को हस्व । कत्ताकर्ता-संयुक्त रेफ का लोप और त को द्वित्व । विकत्तार विकर्ता-संयुक्त रेफ का लोप और त को द्वित्व । वत्ता वक्ता-संयुक्त ककार का लोप और त को द्वित्व । छेत्ता छेत्ता कुंभआरोद कुम्भकारः-ककार का लोप, आ स्वर शेष, विसर्ग को ओत्व । कम्मगरो< कर्मकर:-संयुक्त रेफ का लोप, म को द्वित्व, क को ग और विसर्ग का ओत्व । भारहरोभारहर:-विसर्ग के स्थान पर ओत्व । थगंधयोरस्तनंधयः-स्तन के स्थान पर थण आदेश हुआ है। परंतवोदपरंतपः-प के स्थान पर व और विसर्ग को ओत्व । लेहओ< लेखक:-ख के स्थान पर ह, ककार का लोप, अ स्वर शेष और विसर्ग को ओत्व । हतार हन्ताहन् धातु के नकार के स्थान पर अनुस्वार ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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