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________________ अभिनव प्राकृत व्याकरण ( २५ ) वर्तमान का अर्थ बतालाने के लिए वर्तमानकाल; अतीत-भूत का अर्थ बतलाने के लिए भूत, भविष्य का अर्थ प्रकट करने के लिए भविष्यत्काल; संभावना (Possibility ) या संशय ( Doubt ) विधि, निमन्त्रण, आमन्त्रण, अधीष्ट (Speaking of honorary Duty), संप्रश्न ( Questioning) और प्रार्थना; इच्छा, आशीर्वाद, आज्ञा, शक्ति (Ability) एवं आवश्यकता ( Necessity) अर्थं में विधि या अनुज्ञा का प्रयोग और जब परस्पर संकेतवाले दो वाक्यों का एक संकेतवाक्य बने और उसका बोध करानेवाली क्रिया कोई सांकेतिक क्रिया जब अशक्य प्रतीत हो, तब क्रियातिपत्ति का प्रयोग होता है । क्रियातिपत्ति में क्रिया की अतिपत्ति ( असम्भवता ) की सूचना मिलती है | The Conditional is used instead of the potential, when the non-performance of an action is implied. २६८ एकवचन प्र० पु० हसइ, हसए इससि, इससे हसामि, हसमि म० पु० उ० पु० एकवचन हसेइ प्र० पु० म० पु० हसेसि उ० पु० हसेमि प्र० पु० हसीअ म० पु० एकवचन उ० पु० 29 उभयपदी हस् धातु वर्तमानकाल "" बहुवचन हसन्ति, हसन्ते, हसिरे एकवचन प्र० पु० हसिद्दिर, हसिहिए म० पु० हसि हिसि, हसिहिसे हत्था, सह इसिमो, इसामो, इसमो; हसिमु हसामु, समु, हसिम, हसाम, हसम बहुवचन सेन्ते, हरे हत्था, सेह हसेमो, इसे, इसेम भूतकाल बहुवचन हसीअ भविष्यत्काल "" 99 बहुवचन इसिद्दिन्ति, हसिद्दिन्ते, हसिद्दिरे हित्था, हसिहि
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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