SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 286
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तद्धित ( १ ) धातुओं को छोड़ शेष प्रकार के शब्दों में जिन प्रत्ययों को जोड़ने से कुछ और भी अर्थ निकलता है, उन प्रत्ययों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं; यथा - अणु, त्व, आदि तद्धित प्रत्यय हैं। इन प्रत्ययों के लगाने से जो शब्द बनते हैं, उन्हें तद्धित कहते हैं । तद्धित प्रत्यय तीन प्रकार के होते हैं - सामान्यवृत्ति, भाववाचक और अव्ययसंज्ञक । सामान्यवृत्ति के अपत्यार्थक, देवतार्थक, सामूहिक आदि भेद हैं। ( २ ) प्राकृत में इदमर्थ - 'यह इसका ' इस सम्बन्ध को सूचित करने के लिए 'केर' प्रत्यय जोड़ा जाता है । यथा— अस्मद् (अम्ह) + केर = अम्हकेरं ( अस्माकमिदम्, अस्मदीयम् ) । युष्मद् (तुम्ह) + र = तुम्हकेरं, तुम्ह केरो ( युष्माकमिदम्, युष्मदीयम्, युष्मदीय:) पर + र = परकेरं ( परस्य इदम, परकीयम् )। राय + र = रायकेरं ( राज्ञ इदम्, राजकीयम् ) । ( ३ ) इदमर्थ में युष्मद्, अस्मद् शब्दों से पर में रहनेवाले संस्कृत अन् प्रत्यय के स्थान पर 'एच्चय' आदेश होता है' । यथा युष्मद् (तुम्ह) + एच्चय = तुम्हेश्च्चयं ( यौष्माकम् ) अस्मद् (अम्ह) + एच्चय = अम्हेच्चयं ( आस्माकम् ) । ( ४ ) अपस्य अर्थ में प्राकृत में संस्कृत के समान अ ( अण् ), इ ( इन् ), आवण, एय, इत, ईण और इक प्रत्यय होते हैं । यथा सिव + अ - सिवस्स अपत्तं = सेवो; दसरह + ई = दासरही । वसुदेव + अ -- वसुदेवस्स अपत्तं = वासुदेवो । नड + आयण - नडस्स अपत्तं = नाडायणो । कुलडा + एय – कुलडाए अपत्तं = कोलडेयो । महाउल + ईण – महाउलस्स अपत्तं = महाउलीणो । ( ५ ) भव अर्थ बतलाने के लिए इल्ल और उल्ल प्रत्यय जोड़े जाते हैं यथा-६ - गाम + इल्ल = गामिल्लं ( प्रामे भवम् ), स्त्रीलिंग में गामिल्ली ( ग्रामे इल्ल भवा ) । १. इदमर्थस्य केरः ।२।१४७ । ३. डिल्ल - डुल्लौ भवे ८।२।१६३ । २. युष्मदस्मदोन एच्चयः ८ २ १४६ ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy