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________________ २०४ अभिनव प्राकृत व्याकरण एकवचन एकवचन त (तद्) एकवचन बहुवचन .... .. प०-तं, णं ताई, ताइँ, ताणि, गाई, गाई, गाणि वी०-तं, णं ताई, ताइँ, ताणि, गाई, गाइँ, णाणि शेष रूप पुल्लिंग के समान होते हैं। ज (यद् ) बहुवचन प०-जं जाई, जाइँ, जाणि वी०. जाई, जाई, जाणि शेष रूप पुल्लिंग के समान होते हैं। किं (किम् ) बहुवचन प०-कि काई, काइँ, काणि वी०-कि काई, काइँ, काणि शेष रूप पुल्लिंग के समान होते हैं। एअ ( एतद् ) ... एकवचन बहुवचन प०-अं, एस, इणं, इणमो एआई, एआई, एआणि वी०-एअं एआई, एआइँ, एआणि शेष रूप पुल्लिग के समान होते हैं। अमु ( अदस्) बहुवचन प०-अमुं अभूई, अमूहूँ, अमूणि वी०-अमुं अमूई, अमूइँ, अमूणि शेष रूप (लिङ्ग के समान होते हैं । ___इम ( इदम् ) एकवचन बहुवचन प०-इदं, इणमो, इणं इमाई, इमाइँ, इमाणि बी०-इदं, इणमो, इणं इमाई, इमाइँ, इमाणि शेष रूप पुंलिङ्ग के समान होते हैं। एकवचन
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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