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________________ एकवचन १९६ अभिनव प्राकृत-व्याकरण छ०--पुवस्स; पुरिमस्स . पुव्वेसि, पुव्वाण, पुव्वाणं पुस्मेिसि, पुरिमाण, पुरिमाणं स०-पुव्वेहि, पुच्चम्मि, पुव्वस्सि, पुव्वेसु, पुव्वेसु; पुरिमेसु, पुरिमेसु पुव्वस्थ पुस्मिहि, पुरिमम्मि, पुरिमस्सि, पुरिमस्थ सं०-हे पुवो, हे पुच हे पुन्वे हे पुरिम, हे पुरिमो . हे पुरिमे वीस ( विश्व ), उह, उभ ( उभ ), अवह, उवह, उभय ( उभय ), अण्ण, अन्न (अन्य ), अण्णयर ( अन्यतर ), इअर ( इसर ), कयर, ( कतर ), कहम (कतम ), णेम, नेम ( नेम ), सम, सिम, अवर ( अपर ), दाहिण, दक्खिण ( दक्षिण ), उत्तर, अवर, अहर ( अधर ), स और अंतर शब्दों के 'रूप' सव्व के समान होते हैं । पुल्लिंग ण, त (तत्) बहुवचन प०-सो, ण ते, णे वी०-तं, णं ते, ता, णे, णा त-तिणा, तेण, तेणं; णिणा, तेहि-हि-हि); णेहि-हि-हि णेण, णेणं च०-तास, तस्स, से तास, तेसि, सि; ताण, ताणं पं०-तो, तम्हा, तत्तो, तामओ, ताउ, तत्तो, ताओ, ताउ, ताहि, ताहिन्तो, ___ताहि, ताहिन्तो, ता तासुन्तो, तेहि, तेहिसुन्तो, तेहिन्तो छ०-तास, तस्स, से तास, तेसि, सिं, ताण, ताणं स-ताहे, ताला, तइआ, तर्हि तेसु, तेसु तम्मि, तम्सि, तत्थ ज (यद्) एकवचन बहुवचन प०-जो वी०-जं. जे, जा त-जिणा, जेण, जेणं जेहि-हि-हि.
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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