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________________ १९० अभिनव प्राकृत-व्याकरण कउहा ( ककुम् ) एकवचन बहुवचन एकवचन एकवचन प०-कउहा कउहाओ, कउहाउ, कउहा शेष रूप कम्मा के समान होते हैं। मिरा [ गिर ] बहुवचन प०-गिरा गिराओ, गिराउ, गिरा शेष रूप कम्मा के समान होते हैं। गिरा के समान थुरा ( थुर् ) और पुरा ( पुर् ) शब्द के रूप होते हैं। दिसा [ दिश्] बहुवचन प०-दिसा दिसाओ, दिसाउ, दिसा शेष रूप कम्मा के समान होते हैं। अच्छ रसा, अच्छ रा ( अप्परस् ) बहुवचन अच्छरसाओ, अच्छरसाउ, अच्छरसा, बी०-अच्छरा अच्छराओ, अच्छराउ, अच्छरा अवशिष्ट रूप कम्मा के समान होते हैं। तिरच्छो ( तिरश्ची) एकवचन बहुवचन प०-तिरछी, तिरच्छीआ तिरच्छीआ, तिरच्छीओ, तिरच्छीउ, तिरच्छी वी०-तिरच्छि तिरच्छीआ, तिरच्छीओ, तिरच्छीउ, तिरच्छी अवशिष्ट रूप नइ शब्द के समान होते हैं। एकवचन 10-अच्छरसा
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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