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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण . ५-मिश्न-मिश्र शब्दावली के अन्तर्गत इस प्रकार के शब्दों की गणना की गयी है, जि हे हम समास, कृदन्त और तद्धित के पद कह सकते हैं। इस कोटि के शब्दों के उदाहरणों में 'संयत' पद प्रस्तुत किया है। वस्तुतः विशेषण शब्दों को मिश्र कहना अधिक तर्कसंगत है। नाम शब्दों की निष्पत्तियां चार प्रकार से वर्णित हैं। आगम, लोप, प्रकृतिभाव और विकार ।' १. वर्णागम-वर्णागम कई प्रकार से होता है। वर्णागम भाषाविकास में सहायक होता है। इस वर्णागम का कोई निश्चित सिद्धान्त नहीं है। दुर्गाचार्य ने निरुक्त का लक्षण बतलाते हुए वर्णागम, वर्णविपर्यय ( Metathesis ) वर्ण विकार ( Change of Syllable ) वर्णनाश ( Elision of Syllable ) और अर्थ के अनुसार धातु के रूप की कल्पना करना-इन छ: सिद्धान्तों को परिगणित किया है। अनुओदार सुत्त में इसका उदाहरण कुण्डानि आया है। २. लोप-भाषा के विकास को प्रस्तुत करनेवाला दूसरा सिद्धान्त लोप है । प्रयत्न लाघव की दृष्टि से इस सिद्धान्त का महत्वपूर्ण स्थान है। वर्णलोप के भी कई भेद होते हैं-आदि वर्णलोप, मध्यलोप और अन्त्य वर्णलोप। यहां पर पटो + अत्र = पटोऽत्र, घटो + अन = घटोत्र उदाहरण उपस्थित किये गये हैं। ३. प्रकृति भाव में दोनों पद ज्यों के त्यों रह जाते हैं, उनमें संयोग होने पर भी विकार उत्पन्न नहीं होता। यथा-माले + इमे = माले इमे, पटू इमौ आदि। ४. वर्णविकार-दो पदों के संयोग होने पर उनमें विकृति होना अथवा ध्वनिपरिवर्तन के सिद्धान्तों के अनुसार वर्गों में विकार का उत्पन्न होना वर्णविकार है । यथा वधू > बहू, गुफा > गुहा, दधि + इदं = दधीदं, नदी + इह = नदीह । नाम-पदों के स्त्रीलिङ्ग, पुल्लिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग की अपेक्षा से तीन भेद होते हैं। आकारान्त, इकारान्त, उकारान्त और ओकारान्त शब्द पुंलिङ्ग होते हैं। स्त्रीलिङ्ग शब्दों में ओकारान्त शब्द नहीं होते। नपुंसक लिङ्ग शब्दों में अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त शब्द ही परिगणित हैं । यथा तं एण णाम तिविहिं इत्थी पुरिसं णपुंसगं चेव । एएसि तिण्हं पि अंतम्मि अ परूवणं वोच्छ ।।१।। तत्थ पुरिसस्स अंता आ-इ-उ ओ हवंति चत्तारि । ते चेव इत्थिआओ हवति ओकार परिहीणा ॥२॥ १. चउणामे चउन्विहे पएणत्ते । तं जहा-( १ ) प्रागमेणं ( २ ) लोवेणं ( ३ ) पयइए, (४) विगारेणं । -अणु मोगदार सुत्तं १२४ सू० ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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